कभी पैसे नहीं थे, अब दुनिया देखेगी कमाल! मथुरा की बेटी कनाडा में बजाएगी जीत की रणभेरी! जानिए

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मथुरा: मथुरा के छोटे से गांव कंचनपुर की बेटी वरेण्या राणा ने ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिससे पूरे जिले का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है. तीरंदाजी में गोल्ड मेडल जीतकर लौटी वरेण्या अब कनाडा में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रही है. जैसे ही वरेण्या गांव पहुंची, हर कोई खुशी से झूम उठा. गांव वालों ने उसे फूल- मालाओं से लाद दिया. परिवार वालों की आंखों में गर्व और खुशी दोनों साफ नजर आ रही थीं.

तीन सदस्यीय भारतीय टीम में हुआ चयनमहाराष्ट्र के पुणे में स्थित आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में 22 से 25 मई के बीच आयोजित राष्ट्रीय जूनियर और क्रेडिट तीरंदाजी चयन प्रतियोगिता में देशभर से आए खिलाड़ियों के बीच वरेण्या ने जबरदस्त प्रदर्शन किया. इसी प्रदर्शन के आधार पर वरेण्या को भारत की अंडर-14 कम्पाउंड टीम में चुना गया है. अब जून के अंतिम सप्ताह में यह तीन सदस्यीय टीम कनाडा रवाना होगी. यहां वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन होगा. ये प्रतियोगिता हर दो साल में होती है.

गांव की बनी पहली खिलाड़ीवरेण्या मथुरा की पहली ऐसी लड़की बनी हैं, जो किसी अंतरराष्ट्रीय तीरंदाजी स्पर्धा के लिए चुनी गई हैं. शुरुआत से ही उन्हें तीरंदाजी का शौक था, लेकिन रास्ता आसान नहीं था. तीरंदाजी के लिए जिस कंपाउंड धनुष की जरूरत होती है, उसकी कीमत करीब ढाई लाख रुपये थी. ऐसे में वरेण्या ने अपने पिता ज्ञानेंद्र सिंह राणा से जिद की. उन्होंने बेटी का सपना पूरा करते हुए किसी तरह पैसे जुटाकर धनुष दिलाया.

बेटी की मेहनत लाई रंगवरेण्या के कोच और उनके बड़े पापा योगेंद्र सिंह राणा ने बताया कि बीते दो सालों में वरेण्या लगातार गोल्ड मेडल जीत रही हैं. उनकी मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है. उनके अनुसार, चयन ट्रायल में वरेण्या का प्रदर्शन बहुत ही दमदार था और उसी वजह से उनका सिलेक्शन हुआ.

अकादमी की सख्त डाइट और रूटीनवरेण्या बताती हैं कि वो दिन में करीब 8 घंटे प्रैक्टिस करती हैं. खाने में जूस, फ्रूट्स, ड्राई फ्रूट्स, दूध और मट्ठा शामिल रहता है. सिर्फ फिजिकल ही नहीं, वो मेंटल एक्सरसाइज भी करती हैं, जिससे गेम के दौरान फोकस बना रहे. उन्होंने कहा कि उनके साथ अकादमी में कई खिलाड़ी मेहनत करते हैं. सभी खिलाड़ी मिलकर एक दूसरे का हौसला बढ़ाते हैं.

सपनों की उड़ानवरेण्या के पिता ज्ञानेंद्र सिंह समाजसेवी हैं और मां प्रीति डॉक्टर. उनका बड़ा भाई अभिनव भी डॉक्टर है. वरेण्या बताती हैं कि मां चाहती थीं कि वो डॉक्टर बने, जबकि पापा चाहते थे कि वो खेलों में नाम कमाए. वरेण्या ने पापा के सपने को सच कर दिखाया और अब वो चाहती हैं कि भारत का नाम दुनिया में रोशन करें.

पहाड़ों पर घूमना है पसंदवरेण्या को घूमने का भी शौक है. उन्होंने लोकल18 से बातचीत में बताया कि उन्हें पहाड़ों पर घूमना सबसे ज्यादा अच्छा लगता है. उनके अनुसार, ये उन्हें मानसिक रूप से रिलैक्स करता है. साथ ही उन्होंने अपनी सबसे अच्छी दोस्त रितु शर्मा और करीबी साथी अंकिता शर्मा को भी धन्यवाद कहा, जो हमेशा उनका हौसला बढ़ाती हैं.

गांव में जश्न का माहौलजैसे ही वरेण्या के अंतरराष्ट्रीय चयन की खबर गांव में पहुंची, हर तरफ जश्न शुरू हो गया. लोग ढोल-नगाड़ों के साथ उसके स्वागत में जुट गए. स्कूल और मोहल्ले के बच्चों ने उसे घेर लिया और तस्वीरें खिंचवाईं. एक गांव की बेटी ने जब भारत का नाम ऊंचा किया, तो हर किसी की आंखें खुशी से भर आईं.

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