कभी हिमालय के शिखर को चीरते हुए चढ़ता था ये इंजन, मुरादाबाद में छुपा है रेलवे का ये बेशकीमती खजाना

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Last Updated:June 01, 2025, 18:08 ISTदार्जिलिंग में सौ साल सेवाएं दे चुका भाप इंजन-803 अब मुरादाबाद डीआरएम कार्यालय में धरोहर रूप में स्थापित है. बी श्रेणी का यह इंजन पहाड़ी रेल यात्रा की विरासत को दर्शाता है और छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र बन …और पढ़ेंX

भाप का इंजन।हाइलाइट्सदार्जिलिंग का इंजन-803 मुरादाबाद में धरोहर रूप में स्थापित है.इंजन-803 ने 100 वर्षों तक दार्जिलिंग में सेवाएं दीं.छात्रों के लिए इंजन-803 आकर्षण का केंद्र बन चुका है.मुरादाबाद- मुरादाबाद रेल मंडल के डीआरएम कार्यालय में स्थापित दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे इंजन-803 आज की पीढ़ी को भाप के इंजन के दौर की याद दिलाता है. छोटी लाइन पर चलने वाला यह ऐतिहासिक इंजन वर्ष 2000 में मुरादाबाद लाया गया था. यह वही इंजन है जिसने लगभग सौ वर्षों तक दार्जिलिंग की पहाड़ियों में अपनी सेवाएं दी थी.

1879 से 1881 के बीच हुआ था निर्माणदार्जिलिंग की कठिन पहाड़ी ढलानों पर दौड़ने के लिए वर्ष 1879 से 1881 के बीच इस इंजन का निर्माण किया गया था. यह इंजन भाप से चलता था और छोटी लाइन की रेलवे में इस्तेमाल होता था. मुरादाबाद स्थित डीआरएम कार्यालय में इसे रेल की पटरी पर ही सजाकर रखा गया है ताकि लोग इसकी भव्यता और ऐतिहासिकता को महसूस कर सकें.

बी श्रेणी के इंजन के रूप में है दर्जरेलवे के सीनियर डीसीएम आदित्य गुप्ता के अनुसार यह इंजन रेलवे के इतिहास में बी श्रेणी के रूप में दर्ज है. यह इंजन अपने समय में बेहद मजबूत और विश्वसनीय माना जाता था. इंजन के पास ही एक शिलापट्ट पर इसके तकनीकी विवरण भी अंकित किए गए हैं, जिसमें पहियों का आकार, कोयला व पानी की क्षमता, गेज, इंजन की खपत आदि की जानकारी दी गई है.

छात्रों के लिए बना आकर्षण का केंद्रभाप के इस इंजन को देखने के लिए कई विद्यालयों के छात्र भी आ चुके हैं. यह इंजन केवल एक तकनीकी नमूना नहीं बल्कि एक जीवित इतिहास है, जो छात्रों और आम नागरिकों को भारतीय रेलवे की विरासत से परिचित कराता है.

धरोहर के रूप में 2000 में हुआ अनावरणइंजन-803 का अनावरण 3 मार्च 2000 को अपर महाप्रबंधक वेद प्रकाश चंदन द्वारा किया गया था. उस समय मंडल रेल प्रबंधक प्रेम चंद शर्मा थे. यह इंजन न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय रेलवे की ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक भी बन चुका है.
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