अभिषेक जायसवाल/वाराणसी: नवरात्र शक्ति आराधना का महापर्व है. नवरात्र (Navratra 2023) के नौ दिनों में भक्त देवी की अराधना और पूजा करते है. साल में कुल चार नवरात्र होते है.इसमे चैत्र और शारदीय नवरात्र के साथ दो गुप्त भी होते हैं. पंचाग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की इक्कम तिथि से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है. यह समय देवी के पूजम और उपासना के लिए सबसे अहम माना जाता है. इस समय में देवी के पूजा से सभी बिगड़े काम बन जाते है.

काशी (Kashi) के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि इस बार शारदीय नवरात्र की शुरूआत 15 अक्टूबर से हो रही है. जो 24 अक्टूबर तक चलेगा.इस नवरात्र में देवी का आगमन गज पर और प्रस्थान मुर्गे पर हो रहा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हाथी (गज) पर देवी का आगमन बेहद शुभ होता है. यह वैभव और उन्नति का प्रतीक है. वहीं बात देवी के प्रस्थान की करें तो देवी मुर्गे ओर सवार होकर प्रस्थान कर रही है.जो ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से ठीक नहीं है.ऐसे में प्राकृतिक आपदा से उथल पुथल की स्थिति बनी रहेगी.

ये है कलश स्थापना का शुभ समयपंचाग के अनुसार,शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर 2023 को 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक है. बताते चलें कि नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना कर देवी की पूजा आराधना करनी चाहिए.धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, नवरात्र के नौ दिनों में देवी के अलग अलग स्वरूप के पूजा से पूरे साल देवी की कृपा भक्तों पर बनी रहती है.

(नोट-यह खबर धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषशास्त्र पर आधारित है. News 18 इसके सत्यता की पुष्टि नहीं करता हैं.)
.Tags: Local18, Navratri, Navratri CelebrationFIRST PUBLISHED : September 24, 2023, 15:49 IST



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