पराली प्रबंधन: एक महत्वपूर्ण मुद्दा
भारत में धान की कटाई का मौसम शुरू हो गया है, और किसान अपने खेतों में फसल अवशेषों को जलाने के लिए तैयार हो रहे हैं। लेकिन यह प्रथा पर्यावरण और खेत की मिट्टी के लिए हानिकारक हो सकती है। पराली प्रबंधन को रोकथाम के लिए सरकार द्वारा कार्यवाही की जा रही है, और जुर्माना भी लगाया जा रहा है।
पराली जलाने से पर्यावरण को क्या नुकसान होता है?
पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। इसके अलावा, पराली में उपस्थित हानिकारक रसायन और धुएं के कण वायुमंडल में मौजूद होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
इसके अलावा, पराली जलाने से खेत की मिट्टी भी प्रभावित होती है। पराली में उपस्थित जलवाष्प और धुएं के कण मिट्टी को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो जाती है। इससे फसलों की उत्पादकता कम हो सकती है और मिट्टी की उर्वरता भी प्रभावित हो सकती है।
पराली प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा क्या किया जा रहा है?
सरकार ने पराली प्रबंधन को रोकथाम के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए विशेष नियम बनाए हैं, जिनमें पराली को जलाने से पहले उसकी जांच करना और पराली को जलाने के लिए अनुमति लेना शामिल है। इसके अलावा, सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हैं, जिनमें किसानों को पराली प्रबंधन के बारे में जानकारी दी जाती है।
सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए जुर्माना भी लगाया है। जिन किसानों ने पराली प्रबंधन के नियमों का उल्लंघन किया है, उन्हें जुर्माना लगाया जा रहा है। इसके अलावा, सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए विशेष प्रोत्साहन भी दिया है, जिनमें पराली प्रबंधन के लिए किसानों को पुरस्कार दिए जाते हैं।
निष्कर्ष:
पराली प्रबंधन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिस पर सरकार ने ध्यान दिया है। पराली प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार पर्यावरण और खेत की मिट्टी की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों को भी पराली प्रबंधन के नियमों का पालन करना चाहिए और पर्यावरण के प्रति जागरूक होना चाहिए।

