Uttar Pradesh

कौमी एकता की मिशाल, नाथ बाबा के पूजा के बाद मजार पर जरूर चढ़ाई जाती है चादर



सनंदन उपाध्याय/बलिया: जिले के रसड़ा विधानसभा में स्थित नाथ बाबा और रोशन शाह की मजार को लेकर लोगों में आज भी कौमी एकता की जोरदार मिशाल कायम है. आपको बताते चलें कि नाथ बाबा और रोशन शाह की आपसी गहरी मित्रता थी. जिसका असर आज भी रोशन शाह के मजार और नाथ बाबा के मंदिर में देखने को मिलती हैं. नाथ बाबा के पूजा के बाद रोशन शाह के मजार पर चादर जरूर चढ़ाया जाता है. वर्षो से चली आ रही यह परंपरा आज भी उसी तरह कायम है.

नाथ बाबा मठ के मठाधीश कौशलेंद्र गिरी जी बताते हैं कि श्री नाथ बाबा उर्फ अमरनाथ जी की जन्मस्थली महाराजपुर हैं. दरअसल, जहां तक बात कौमी एकता की है तो रोशन शाह और नाथ बाबा में गहरी मित्रता थी. आजादी के पूर्व अंग्रेजों द्वारा किसानों के शोषण के लिए लगाए गए कर से रोशन शाह और नाथ बाबा ने मुक्ति दिलाई थी.

हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है ये स्थानमजार के संचालक हबीब अंसारी उर्फ मुन्ना भाई ने कहा कि प्राचीन काल में यह पूरा स्थान जंगल था. इसी जंगल में नाथ बाबा और रोशन शाह साथ में रहते थे. नाथ बाबा एक सिद्ध संत थे तो वही रोशन शाह एक सिद्ध फकीर थे. आज भी यहां हिंदू और मुसलमान में इतनी एकता है की जो नाथ बाबा का पूजा करता हैं, वह रोशन शाह के मजार पर चादर भी जरूर चढ़ाता हैं.

दिलाई थी अंग्रेजी हुकूमत से मुक्तिश्रीनाथ बाबा के 6 मठ हैं. दरअसल, परंपरा के अनुसार यहां के किसानों पर अंग्रेजी हुकूमत ने जजिया कर लगा दिया था और इस नए जजिया कर से परेशान किसानों ने श्रीनाथ बाबा से जजिया कर से मुक्त कराने का निवेदन किया. तब नाथ बाबा और रोशन शाह ने अंग्रेजों से लड़ कर किसानों को जजिया कर से मुक्त कराया था.
.Tags: Balia, Hindu-Muslim, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 07:24 IST



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