फर्रुखाबाद में खाद्य विभाग की बड़ी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में एक कारखाने में जब जांच की गई तो एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने अधिकारियों के पैरों तले जमीन खिसक दी. यहां अचार बनाने की जगह पर हद से ज्यादा गंदगी, फर्श भी गंदा, बर्तन मैले और चारों तरफ गंध का आलम था. जांच में सामने आई हकीकत यह थी कि अचार बनाने की जगह पर गंदगी का आलम था, जिससे लोगों को भनक भी नहीं लगी.
खाद्य विभाग ने फर्रुखाबाद जिले के विकास खंड कमालगंज के मोहनपुर-दिनारपुर मार्ग पर एक घर में छापेमारी की. घर में बन रहे आचार आम, मिर्च और नींबू पर जांच की गई. लेकिन जांच में सामने आई हकीकत अचार बनाने की जगह पर हद से ज्यादा गंदगी, फर्श भी गंदा, बर्तन मैले और चारों तरफ गंध का आलम था. अधिकारियों ने जब ये सीन देखा तो आग बबूला हो गए और मौजूद लोगों को जमकर फटकार लगाई. उन्होंने कहा कि साफ-सफाई का ध्यान रखो, टैंक में टाइलें लगवाओ, इतनी गंदगी के बीच अचार बनता रहा और आप सब को भनक भी नहीं लगी ये कैसे हो गया.
जांच में सामने आई हकीकत यह थी कि सड़े आम और नींबू के दुष्प्रभाव आम सड़ने पर इसमें फफूंद और अफ्लाटॉक्सिन जैसे विषैले तत्व बनते हैं. ये लिवर को नुकसान, लंबे समय में कैंसर का खतरा और लगातार खाने से पेट और आंतों की बीमारियों का कारण बन सकते हैं. नींबू सड़ने पर इसमें मायकोटॉक्सिन और बैक्टीरिया पनपते हैं। ऐसे नींबू का सेवन गंभीर फूड पॉइजनिंग, उल्टी-दस्त, किडनी पर असर और कमजोर लोगों में अचानक मौत तक की वजह बन सकता है.
गरीब तबका, जो सब्ज़ी खरीदने में असमर्थ होता है, वही सस्ता अचार खरीदकर पेट भरता है. 10 रुपये से 50 रुपये तक के पैकेट- जिन्हें सड़ांध से निकाला गया और कैमिकल से सजाया गया. वही उनके भोजन की थाली में जाते हैं. यह केवल “अचार” नहीं, बल्कि धीरे-धीरे मौत देने वाला जहर है. यह घटना सिर्फ फर्रुखाबाद की नहीं है, छोटे कस्बों और शहरों के कोनों में ऐसे कई “ज़हरीले कारखाने” खुलेआम चल रहे हैं. समस्या यह है कि गरीब की थाली में जो पहुंच रहा है, वह स्वास्थ्य नहीं, बल्कि बीमारी और मौत लेकर आ रहा है.