Kanwar Yatra: रंग-बिरंगी कांवड़, महीनों की मेहनत! जानिए कैसे तैयार होती है वो कांवड़, जो लाखों शिवभक्तों की है पहचान

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महीनों की मेहनत...जानिए कैसे तैयार होती है कांवड़, जो शिवभक्तों की है पहचान

Last Updated:July 17, 2025, 22:40 ISTSawan Kanwar Yatra 2025: श्रृंगीरामपुर में कांवड़ यात्रा के दौरान रवि और उनका परिवार 20 सालों से कांवड़ बनाते हैं. कांवड़ की कीमत ₹300 से ₹1500 तक होती है. यह काम उनके लिए आस्था और सेवा का जरिया है.हाइलाइट्सरवि का परिवार 20 सालों से कांवड़ बनाता है.कांवड़ की कीमत ₹300 से ₹1500 तक होती है.कांवड़ बनाना उनके लिए आस्था और सेवा का जरिया है.Kanwar Yatra 2025: सावन का महीना आते ही सारा माहौल शिवमय हो जाता है. इस पावन माह में लाखों श्रद्धालु हर साल कांवड़ लेकर निकलते हैं और जल भरकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. बात करें उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित तपोस्थली श्रृंगीरामपुर की तो इसे कांवड़ यात्रा का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां देशभर से शिवभक्त जुटते हैं और कांवड़ उठाकर श्रृंगी ऋषि मंदिर की ओर प्रस्थान करते हैं.

लेकिन इस यात्रा को खास बनाने में सिर्फ श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि वो मेहनती हाथ भी अहम भूमिका निभाते हैं जो शिवभक्तों के लिए खूबसूरत और रंग-बिरंगी कांवड़ तैयार करते हैं. ऐसे ही कारीगर परिवारों में से एक हैं रवि, जो अपने पूरे परिवार के साथ सालों से यह सेवा कर रहे हैं.

पीढ़ी दर पीढ़ी बन रही है आस्था की कांवड़
श्रृंगीरामपुर में कई ऐसे परिवार हैं जो पीढ़ियों से कांवड़ बनाने का काम करते आ रहे हैं. रवि और उनके परिवार ने लोकल18 से बातचीत में बताया कि वे पिछले 20 सालों से यह कार्य कर रहे हैं. वे बताते हैं कि कांवड़ बनाना उनके लिए सिर्फ एक काम नहीं बल्कि आस्था और सेवा का एक जरिया है.

रवि का परिवार हर साल सावन शुरू होने से करीब दो महीने पहले कांवड़ बनाना शुरू कर देता है. कांवड़ बनाते समय सबसे पहले उसका ढांचा तैयार किया जाता है. फिर उस ढांचे पर सुंदर कपड़ा सिलकर लगाया जाता है. इसके बाद उसमें सजावट का काम होता है जैसे सितारे, फोटो और रंगीन कागज लगाना.

एक कांवड़ को पूरी तरह से तैयार करने में कई घंटे लगते हैं. कपड़ा लगाने के बाद भी उसमें बहुत काम बाकी रहता है. इस पूरी प्रक्रिया में पूरा परिवार शामिल होता है. यात्रा शुरू होने के 2-3 दिन पहले कांवड़ की फाइनल सजावट होती है और फिर इन्हें दुकानों पर सजाया जाता है ताकि शिवभक्त इन्हें खरीद सकें.

कांवड़ की कीमत और कमाईरवि बताते हैं कि वे यह काम अपने माता-पिता के साथ बचपन से करते आ रहे हैं. आज उनके बच्चे भी इस परंपरा को निभा रहे हैं. बाजार में कांवड़ की कीमत उसके आकार और सजावट पर निर्भर करती है.

Location :Farrukhabad,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshमहीनों की मेहनत…जानिए कैसे तैयार होती है कांवड़, जो शिवभक्तों की है पहचान

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