Uttar Pradesh

Kanwar Yatra 2022: जानिए सावन, शिव और कावड़ यात्रा का क्या है पौराणिक संबंध?



रिपोर्ट: सर्वेश श्रीवास्तव
अयोध्या. देवाधिदेव महादेव को श्रावण मास अत्यधिक प्रिय है. कहा भी गया है कि ‘श्रावणे पूजयेत शिवम्’. यही कारण है कि भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए इसी महीने में एक यात्रा निकालते हैं, जिसे कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2022) कहा जाता है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है कांवड़ यात्रा? कब से शुरू हुई कांवड़ यात्रा और कांवड़ यात्रा को लेकर क्या हैं मान्यताएं?
ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि कांवड़ यात्रा के प्रारंभ को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. सतयुग में हुआ था, जब देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था. दरअसल देवाताओं और दानवों के उस मंथन में कई रत्नों से पहले विष निकला था जिसे भगवान शिव ने धारण कर लिया था. विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में ही रोक लिया, जिसके कारण भोलनाथ विष की गर्मी से व्याकुल हो गए हो गए थे. भगवान शिव को इस अवस्था में देख देवताओं ने कांवड़ के जरिए पवित्र नदियों का जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करना शुरू कर दिया, तब जाकर शिव शांत हुए और वहीं से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी.
ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम आगे बताते हैं कि धरती पर भगवान परशुराम ने कांवड़ियों की शुरुआत की भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर से जल लाकर पूरा महादेव पर जलाभिषेक किया, जो आज बागपत में स्थित है. इसके बाद से सभी सनातन धर्म के लोग अपने अपने सुविधा के अनुसार कांवड़ यात्रा का संचालन करते हैं.
जानिए कितने प्रकार की होती है कांवड़ यात्राज्योतिषाचार्य कल्कि राम बताते हैं कि कांवड़ यात्रा तीन प्रकार की होती है, लेकिन वर्तमान समय में अनेक प्रकार की कांवड़ यात्राएं निकाली जाने लगी हैं.
सामान्य कांवड़ यात्रा: सामान्य कांवड़ यात्रा में भक्त अपनी सुविधा के अनुसार चलते फिरते कांवड़ यात्रा निकालते हैं.
डाक कांवड़ यात्रा: डाक कावड़ यात्रा में झांकी सजाई जाती है, शिव भक्त धूम-धाम से झूमते,गाते और नाचते कांवड़ की यात्रा निकालते हैं.
खड़ी कांवड़ यात्रा: खड़ी कावड़ यात्रा बहुत कठिन यात्रा होती है जो यात्रा लेकर चलते हैं वह कहीं रुकते नहीं हैं लगातार चलते रहते हैं.
जानिए क्या हैं कावड़ यात्रा का नियम? कांवड़ यात्रा के दौरान भक्तों को सात्विक भोजन करना होता है. मांसाहार और शराब आदि के सेवन से बचना होता है. विश्राम के समय कांवड़ को पेड़ या किसी के सहारे लटकाना होता है.यात्रा के दौरान कहीं भी कांवड़ जमीन पर नहीं रखी जाती. कांवड़ यात्रा के दौरान जिस मंदिर में जलाभिषेक का संकल्प लिया जाता है वहां तक पैदल चलकर जाना होता है. कांवड़ यात्रा नियमों के साथ पूरी करने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मन मांगा वरदान देते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Kanwar yatra, Sawan, Sawan somvarFIRST PUBLISHED : July 18, 2022, 19:23 IST



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