Uttar Pradesh

Kanpur: वैज्ञानिकों ने खोजी नई तकनीक, अब केमिकल के बजाय ‘एंजाइम’ से तैयार होगा इको फ्रेंडली कपड़ा



कानपुर. आप को जानकर हैरानी होगी कि जो कपड़े हम इस्तेमाल करते हैं उन्हें बनाने में कई प्रकार के केमिकल का प्रयोग किया जाता है. धागों से कपड़े को तैयार करने और उसकी रंगाई के साथ डिजाइन बनाने में कई प्रकार के रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब कानपुर के उत्तर प्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर ने एक ऐसी तकनीक खोजी है जिससे बिना रसायन को इस्तेमाल किए ही कपड़े बनाए जा सकेंगे.उत्तर प्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के टेक्सटाइल केमिस्ट्री विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर ए.के पात्रा ने बताया कि अभी तक कपड़े को बनाने के लिए कई प्रकार के केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं. यह हमारी त्वचा और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक होते हैं. इसके चलते कई केमिकल बैन भी किए जा चुके हैं, लेकिन अब पूरे तरीके से रसायनों को हटाकर एंजाइम का इस्तेमाल कर कपड़ा तैयार किया जाएगा. यह पूरी तरीके से प्राकृतिक होगा. साथ ही इससे स्वास्थ्य की भी हानि नहीं होगी, बल्कि यह पर्यावरण फ्रेंडली भी होगा.एंजाइम से तैयार किए गए कपड़े जहां एक तरफ आपकी त्वचा को नुकसान नहीं करेंगे. वहीं, यह पर्यावरण मित्र के तरीके का काम भी करेंगे. प्रोफेसर पात्रा ने बताया कि अगर कपड़े खराब होते हैं या फट जाते हैं तो लोग उनको फेंक देते हैं. केमिकल वाले कपड़े मिट्टी में पड़े रहते हैं, लेकिन वो समाप्त नहीं होते हैं. जबकि एंजाइम तैयार कपड़ा मिट्टी में कुछ दिन तक रहने के बाद खत्म हो जाएगा और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं करेगा. इसके अलावा, अगर पानी में भी कपड़ा कुछ दिन तक रहेगा तो वो पानी को नुकसान नहीं करेगा.डर्मेटोलॉजिस्ट आलोक सचान ने बताया कि कपड़ा बनाने में कई एसिडिक केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं, नाइट्रोजन भी इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही कई और केमिकल का इसमें इस्तेमाल किया जाता है जो कहीं न कहीं स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है. वहीं, जब कपड़े एंजाइम से तैयार किए जाएंगे तो त्वचा के लिए नुकसानदेह नहीं रहेंगे.प्रोफेसर को मिला अंतरराष्ट्रीय अवार्डटेक्सटाइल की दुनिया में सबसे सर्वोच्च अवार्ड चार्टर्ड कलरिस्ट से प्रोफेसर ए.के पात्रा को सम्मानित किया जाएगा. वस्तुओं की दुनिया को रसायन से बचाने की तकनीक और ऐसे ही अन्य कार्यों के चलते उनको यह अवार्ड इंग्लैंड की द सोसाइटी ऑफ डायर एंड कलरिस्ट की ओर से दिया जा रहा है. यह अवार्ड पाने वाले वह भारत के एकमात्र वैज्ञानिक हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : November 17, 2022, 17:56 IST



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