Uttar Pradesh

कानपुर न्यूज: ग्लूकोज की बोतल में लगेगी 50 पैसे की कार्बन चिप, जैसे ही होगा कम डॉक्टर-नर्स के पास जाएगा मैसेज, एक साथ 10 से 12 मरीजों के बेडों पर लगाया जा सकता है स्पेशल अलर्ट सिस्टम।

कानपुर: मरीजों की जान बचाने के लिए डॉक्टरों को बड़ी राहत देने वाली तकनीक आईआईटी कानपुर ने विकसित की है. यहां के नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सीबल इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के वैज्ञानिकों ने पहली बार ऐसी कार्बन चिप तैयार की है, जो ग्लूकोज की बोतल पर लगते ही मरीज के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी. सबसे खास बात यह है कि इस चिप की कीमत केवल 50 पैसे होगी, लेकिन इसका फायदा मरीजों और अस्पतालों को लाखों में मिलेगा.

यह कार्बन चिप कैपेसिटी सेंसर तकनीक पर आधारित है. इसे किसी भी ग्लूकोज बोतल पर आसानी से लगाया जा सकता है. जैसे ही मरीज को चढ़ाई जा रही बोतल में ग्लूकोज की मात्रा घटेगी, यह चिप तुरंत अलर्ट भेज देगी. इसके लिए एक खास ब्लूटूथ डिवाइस बनाई गई है, जो एक साथ 10 से 12 मरीजों की बोतलों को कनेक्ट कर सकती है. इसका मतलब है कि अस्पताल में डॉक्टर या नर्स को बार-बार मरीज की बोतल चेक करने की जरूरत नहीं होगी. जैसे ही बोतल खत्म होने के करीब होगी, फोन पर अलर्ट मैसेज पहुंच जाएगा.

मरीजों के जान पर नहीं आएगी आफत अस्पतालों में अक्सर देखा जाता है कि व्यस्तता के कारण कई बार ग्लूकोज की बोतल खाली होने के बाद भी मरीज से जुड़ी रहती है, जिससे एयर बबल (हवा) चढ़ने का खतरा होता है और मरीज की जान पर भी बन आती है. इस नयी चिप से ऐसे हादसों पर पूरी तरह रोक लग सकेगी. डॉक्टर और नर्स समय पर अलर्ट पाकर बोतल बदल देंगे और मरीज पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे. इस तकनीक से न केवल जान बचेगी बल्कि अस्पतालों के कामकाज में भी तेजी और सुविधा आएगी.

500 मरीजों पर हुआ ट्रायल आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने इस डिवाइस का सफल परीक्षण 500 से अधिक मरीजों पर किया है. सभी मामलों में यह तकनीक बिल्कुल सटीक निकली. इसके बाद इसका पेटेंट भी फाइल कर दिया गया है. अब उम्मीद है कि अगले एक साल के भीतर यह डिवाइस बाजार में आ जाएगी. चूंकि इस चिप की लागत केवल 50 पैसे है, इसलिए अस्पतालों और क्लिनिकों में इसे अपनाना बेहद आसान होगा.

अस्पताल और नर्सिंग होम के लिए गेमचेंजर विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्बन चिप स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने वाली है. खासतौर पर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में जहां स्टाफ की कमी रहती है, वहां यह तकनीक बेहद उपयोगी साबित होगी. कम खर्चीली होने की वजह से यह हर अस्पताल और नर्सिंग होम तक पहुंच पाएगी और हजारों मरीजों की जान समय रहते बचाई जा सकेगी.

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