Uttar Pradesh

कानपुर में कैसे और कब शुरू हुआ गणेश महोत्सव? आसान नहीं थी राह, 104 साल पुराना है इतिहास

अखंड प्रताप सिंह /कानपुर: देशभर के ज्यादातर घरों और पंडालों में गणपति बप्पा विराज चुके हैं. मुख्य रूप से यह महोत्सव सबसे पहले महाराष्ट्र में शुरू हुआ था. इसके बाद देखते-देखते देशभर में बड़े उत्साह के साथ ये महोत्सव मनाया जाने लगा. कानपुर में इस महोत्सव की शुरुआत वर्ष 1921 में हुई थी. इस महोत्सव की शुरुआत कानपुर में क्रांति के रूप में हुई थी. क्योंकि उसे वक्त अंग्रेजों का शासन था और धार्मिक कार्यक्रम करने पर भी पाबंदी थी. लेकिन बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजी अफसर से बातचीत करके कानपुर में इस महोत्सव की शुरुआत कराई. इसके बाद से यह महोत्सव एक क्रांति के रूप में भी जाना गया है और लगातार तब से इस महोत्सव को कानपुर में मनाया जा रहा है.कानपुर में सबसे पहले घंटाघर में गणेश मंदिर के सामने प्रांगण में इस महोत्सव की शुरुआत हुई थी. इसके बाद शहर में देखते-देखते प्रतिवर्ष कई जगह इस महोत्सव का आयोजन होने लगा. लेकिन सबसे पुराना महोत्सव कानपुर के घंटाघर में ही होता है, जिसकी शुरुआत बाल गंगाधर तिलक ने की थी. इस वजह से आज भी बाल गंगाधर तिलक को कानपुर में गणेश महोत्सव की शुरुआत करने का श्रेय भी दिया जाता है. क्योंकि, इस मंदिर का 1918 में भूमि पूजन भी बाल गंगाधर तिलक द्वारा ही किया गया था.इस बार 104 वां गणेश महोत्सवकानपुर महानगर में स्थित घंटाघर गणेश मंदिर में इस बार 104 वां गणेश महोत्सव का आयोजन हुआ है. इस बार भक्तों द्वारा बेहद खास तैयारी की गई है. महाराष्ट्र की तर्ज पर बिल्कुल यह महोत्सव यहां पर मनाया जा रहा है. पूरे 10 दिनों तक यहां पर गणपति भगवान की विशेष पूजा अर्चना की व्यवस्था की गई है. 10 दिनों तक यह महोत्सव चलेगा. इस दौरान तरह-तरह के सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी यहां पर होते हुए नजर आएंगे.FIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 09:43 IST

Source link

You Missed

Scroll to Top