Uttar Pradesh

जयंती विशेष: वकील, प्रखर राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी; ऐसे थे यूपी के पहले सीएम गोविंद बल्लभ पंत



नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे गोविंद बल्लभ पंत का आज जन्मदिन है. स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर राजनेता और वकील, गोविंद बल्लभ पंत को कई रूपों में याद किया जाता है. उनका जन्म 10 सितंबर, 1887 को हुआ था और वह भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे. इतना ही नहीं, जवाहर लाल नेहरू के साथ आजादी के बाद भारत सरकार के गठन में भी उनकी प्रमुख भूमिका मानी जाती है. उन्हें साल 1957 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया था.
दरअसल, यूपी के पहले मुख्यमंत्री रह चुके गोविंद बल्लभ पंत का जन्म उत्तराखंड (पहले यूपी) के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. पहले वह वकालत किया करते थे, मगर देश प्रेम की भावना ने उन्हें राजनीति में आने पर मजबूर किया और उसके बाद वह अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ते रहे. इस दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा. गोविंद बल्लभ पंत ने साल 1921 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा और विधानसभा में चुने गए. उस वक्त उत्तर प्रदेश, यूनाइटेड प्रोविंसेज कहलाता था.
कैसे यूपी के पहले सीएम बने थे पंतगोविंद बल्लभ पंत यूपी के पहले सीएम कैसे बने, यह भी एक मजेदार किस्सा है. दरअसल, अंग्रेजों के खिलाफ अभियान को लेकर साल 1932 गोविंद बल्लभ पंत गिरफ्तार कर लिए गए थे. उस दौरान उन्हें देहरादून की जेल में बंद कर दिया गया था. उस दौरान उसी जेल में पंडित जवाहरलाल नेहरू भी बंद थे. यही वह समय था जब गोविंद बल्लभ पंत की पंडित जवाहर लाल नेहरू से काफी जान-पहचान हुई थी. पंत से नेहरू काफी प्रभावित हो चुके थे. यही वजह है कि जब साल 1937 में कांग्रेस ने सरकार बनाने का फैसला किया तो नेहरू ने ही गोविंद बल्लभ पंत का नाम यूपी के सीएम के लिए सुझाया था. इस तरह पंत यूपी के पहले सीएम बने. हालांकि, वह महज दो साल तक ही इस पद पर काबिज रहे. इसके बाद 1946 में कांग्रेस की भारी जीत के बाद पंत फिर से मुख्यमंत्री बने और इस बार वह लगातार 8 साल यानी 27 दिसंबर 1954 तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे.

एक नजर में गोविंद बल्लभ पंत का पूरा जीवन

1914 में ही ब्रिटिश राज खिलाफ भरी हुंकारपंत ने अपनी पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से की थी और काशीपुर में वकालत की प्रैक्टिस किया करते थे. साल 1914 में उन्हें ब्रिटिश राज के खिलाफ बगावत शुरू कर दी थी और अभियान चलाना शुरू कर दिया था. हालांकि, 1921 से पहले तक वह एक्टिव पॉलिटिक्स से काफी दूर थे. साल 1920 में उन्हें कांग्रेस पार्टी ने काकोरी केस को रिप्रजेंट करने के लिए अपना वकील नियुक्त किया था. कहा जाता है कि हिंदी को बढ़वा देने में गोविंद बल्लभ पंत का योगदान अहम रहा है, क्योंकि हिंदी भाषा को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए सबसे पहली बार बल्लभ पंत जी ने पहल की थी.
एक नजर फैक्ट्स परगोविंद बल्लभ पंत ने 1937 से 1939 तक यूनाइटेड प्रोविंस के प्रीमियर के रूप में कार्य किया.1946 से 1954 तक यूपी के पहले मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.1956 से 1961 तक देश के गृह मंत्री के रूप में अपनी सेवा दी.साल 1957 में पंत को भारत रत्न सम्मान मिला.पंत ने ही केंद्र सरकार की और कुछ राज्य में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाया था.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: India news, Uttar pradesh newsFIRST PUBLISHED : September 10, 2022, 11:39 IST



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