Last Updated:May 08, 2025, 19:27 ISTPremanand Ji Maharaj Ki Katha: वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज का मानना है कि जैसे दीपक के लिए बाती जरूरी है, वैसे ही आत्मिक साधना के लिए गुरु का होना अनिवार्य है. गुरु ही वो रोशनी हैं जो अंधकार से निक…और पढ़ें प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जप नाम की शक्ति तभी जागृत होती है जब वह गुरु की शरण में किया जाए. बिना गुरु के जप करना केवल उच्चारण बनकर रह जाता है, उसमें आत्मिक ऊर्जा नहीं आ पाती. गुरु और शिष्य का संबंध केवल ज्ञान का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि आत्मा का संबंध होता है. शिष्य के जीवन की दिशा और गति दोनों गुरु ही निर्धारित करते हैं. प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, चाहे साधना हो, सेवा हो या जीवन का कोई भी क्षेत्र—गुरु के बिना कोई भी कार्य संपूर्ण नहीं होता. गुरु ही सही और गलत में अंतर करना सिखाते हैं. प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि जब बच्चा जन्म लेता है तो मां उसका पहला गुरु होती है, पिता मार्गदर्शक बनते हैं और शिक्षक स्कूल में ज्ञान देते हैं. हर चरण पर कोई न कोई गुरु हमारा हाथ थामता है. राजनीति, व्यापार, शिक्षा या साधना—हर क्षेत्र में गुरु का कोई न कोई रूप होता है जो व्यक्ति को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और सही दिशा दिखाता है. प्रेमानंद महाराज बताते हैं, गुरु केवल सुनने के लिए नहीं होते, उनकी बातों को जीवन में अपनाना ही असली भक्ति है. जब हम गुरु के बताए मार्ग पर चलने लगते हैं, तभी जीवन में शांति और प्रगति दोनों मिलती हैं.homedharmजप करते हैं लेकिन फल नहीं मिलता? प्रेमानंद महाराज ने बताई वो गलती जो हम सभी…