जेएनयू के छात्र संघ चुनाव 2025 में यूपी के बेटे ने कमाल कर दिया. उत्तर प्रदेश के बस्ती के रहने वाले सुनील यादव ने जेएनयू चुनाव में सेक्रेटरी यानी महासचिव का चुनाव जीता है. यह जीत सुनील के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो एक गरीब परिवार से आते हुए जेएनयू के छात्र संघ के महासचिव बन गए हैं।
चुनाव के नतीजे आते ही कैंपस में लाल झंडे लहराने लगे. यूनाइटेड लेफ्ट ने सभी चार प्रमुख पदों पर क्लीन स्वीप कर दिया. अध्यक्ष अदिति मिश्रा को 1937 वोट, उपाध्यक्ष के. गोपिका को 3101 वोट, महासचिव सुनील यादव को 2005 वोट और संयुक्त सचिव दानिश अली को 2083 वोट मिले. इसमें सबसे रोमांचक मुकाबला महासचिव का रहा, जहां डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (DSF) के सुनील यादव ने एबीवीपी के राजेश्वर कांत दुबे को महज 104 वोटों से हरा दिया. दुबे को 1901 वोट मिले, लेकिन सुनील की जमीनी पकड़ ने आखिरकार लेफ्ट को ये सीट दिला दी. इस चुनाव में कुल 67% वोटर्स मतदान किया. इस जीत के साथ सुनील यादव जेएनयू के नए महासचिव बन गए.
सुनील यादव कौन हैं? सुनील यादव का सफर छोटे से गांव से जेएनयू की ऊंचाइयों तक पहुंचना किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के बेदीपुर गांव से आने वाले सुनील अपने परिवार की पहली वह पीढी हैं जो ग्रेजुएट हैं. उनके पिता एक सरकारी स्कूल में ग्रुप डी स्टाफ हैं और मां घर संभालती है. गरीबी और सीमित संसाधनों के बीच सुनील ने पढ़ाई पर जी जान लगा दी. 2021 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद वह मास्टर्स करने जेएनयू पहुंचे और यहीं से उनकी असली राजनीतिक यात्रा शुरू हो गई. सेंटर फॉर योरपीय स्टडीज में PhD कर रहे सुनील आज DSF के प्रेसिडेंट हैं और यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति में एक जाना-माना चेहरा हैं।
सुनील ने ऐसे बनाई अपनी पहचान जेएनयू पहुंचते ही सुनील ने कैंपस इश्यूज पर आवाज बुलंद कर दी. 2022 में वह स्टूडेंट-फैकल्टी कोऑर्डिनेटर (SFC) चुने गए और कोविड लॉकडाउन के बाद ऑफलाइन क्लासेस बहाल करने के लिए बड़ा आंदोलन चलाया. हॉस्टल अलॉटमेंट और कैंपस रीओपनिंग के प्रोटेस्ट में वह सबसे आगे रहे. 2024 में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (SIS) के स्टूडेंट्स मूवमेंट लीड किया जहां ऑप्शनल कोर्सेस में फ्लेक्सिबिलिटी की मांग की. SIS डीन के दफ्तर के बाहर हंगर स्ट्राइक का भी हिस्सा बने. इन सबमें उनकी मेहनत ने स्टूडेंट्स का दिल जीत लिया।
पहले चुने गए काउंसलर इस साल 2025 में सुनील SIS के काउंसलर चुने गए. इस चुनाव में वह सबसे ज्यादा वोटों से जीते. फिर JNUSU काउंसिल ने उन्हें इंटर-हॉल एडमिनिस्ट्रेशन (IHA) कन्वीनर बनाया. यहां से उन्होंने फीस हाइक के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई की, JNUEE बहाल करने, हॉस्टल इविक्शन ऑर्डर्स रद्द करने और अनफेयर प्रॉक्टोरियल एक्शन्स वापस लेने के लिए अनिश्चितकालीन भूख हडताल की. सुनील के अभियान में स्टूडेंट हॉस्टल सुविधाएं बेहतर करना, सबके लिए बराबर मौके और एजुकेशनल रिसोर्सेस को टॉप प्रायोरिटी देना रहा।
सुनील ने दी एबीवीपी ने कड़ी टक्कर सुनील की ये जीत सिर्फ नंबर्स की नहीं बल्कि स्टूडेंट वेलफेयर और ग्रासरूट कनेक्ट की जीत है. सुनील ने एबीवीपी को कड़ी टक्कर दी. लेफ्ट यूनिटी की इस जीत ने जेएनयू को फिर ‘रेड’ कर दिया.

