जीएसटी वसूली पर अखिलेश यादव का तंज, बोले- जनता जानना चाहती है टैक्स का हिसाब
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक बार फिर केंद्र की भाजपा सरकार को घेरा है. इस बार निशाने पर रहा जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर). अखिलेश ने फेसबुक पर एक व्यंग्यात्मक पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने दस बिंदुओं के जरिये सवाल दागे. उनका कहना है कि पिछले आठ सालों में जीएसटी के नाम पर जो भारी-भरकम वसूली हुई है, उसका हिसाब जनता मांग रही है. अखिलेश का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है.
अखिलेश ने अपनी पोस्ट की शुरुआत कटाक्ष से की. उन्होंने पूछा कि क्या जीएसटी से वसूली गई राशि यूपी भाजपा सरकार के “महाकुंभ मॉडल” की तरह पुलिस द्वारा घर-घर कैश पहुँचाकर लौटाई जाएगी? उन्होंने आगे कहा कि क्या यह राशि बीमा के अगले प्रीमियम में एडजस्ट की जाएगी या फिर सीधे जनता के बैंक खातों में डाली जाएगी? यही नहीं, अखिलेश ने 2014 के चुनावों में किए गए वादे का भी जिक्र किया. उन्होंने चुटकी लेते हुए पूछा कि क्या इस रकम को हर खाते में पंद्रह लाख रुपये देने के वादे से घटाया जाएगा, ताकि जनता को राहत मिल सके?
सिलेंडर, कंपनियां और चुनावी फंड पर हमला समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने भाजपा सरकार पर पुराने अधूरे वादों की याद दिलाई. उन्होंने पूछा कि क्या जीएसटी की रकम होली-दीवाली के लंबे समय से लटके पड़े गैस सिलेंडरों के साथ दो किस्तों में दी जाएगी? इसके साथ ही उन्होंने कंपनियों से भाजपा को “पिछले दरवाजे से मिली रकम” का मुद्दा उठाते हुए सवाल किया कि क्या जीएसटी से वसूला गया पैसा उसी के जरिये जनता को लौटाया जाएगा? उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा नेता शायद इस रकम का उपयोग चुनाव से पहले नकदी के रूप में जनता में बांटने के लिए करेंगे.
शिक्षा और स्वास्थ्य से जोड़ा मुद्दा अखिलेश यादव ने जीएसटी की राशि को लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े सवाल भी खड़े किए. उन्होंने व्यंग्य करते हुए पूछा कि क्या बच्चों की फीस न लेकर इसे पूरा किया जाएगा या फिर बुज़ुर्गों और बीमारों की दवा-इलाज को मुफ्त घोषित कर इसकी भरपाई की जाएगी? पोस्ट के अंत में अखिलेश ने सबसे तीखा हमला बोला. उन्होंने आशंका जताई कि जनता को राहत देने की बजाय भाजपा इस रकम को अपने “जुमलाकोश” में जोड़ देगी, जैसा कि पहले कई वादों के साथ हुआ है.
विपक्ष की रणनीति और सियासी हलचल राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अखिलेश यादव का यह बयान सिर्फ आर्थिक नीतियों की आलोचना भर नहीं है, बल्कि चुनावी रणनीति का भी हिस्सा है. उन्होंने टैक्स और महंगाई के मुद्दे को जनता के बीच लाकर विपक्षी एकजुटता की जमीन तैयार करने की कोशिश की है. दूसरी ओर, भाजपा की तरफ से इस पोस्ट पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.