Last Updated:May 26, 2025, 11:20 ISTRataul Aam: बागपत का रटौल आम अब विदेशों में भी बिकेगा. क्योंकि इसे सरकार द्वारा जीआई टैग दे दिया गया है. हालांकि इस आम को लेकर पाकिस्तान भी अपना दावा करता है.रटौल आम को मिला जीआई टैग.लखनऊः कहते हैं कि आम सभी फलों का राजा है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आमों का राजा जिसे कहा जाता है उसका नाम है रटौल. अब आम की इस वैरायटी को ग्लोबल पहचान मिल गई है. इस आम की वजह से अब बागपत के रटौल गांव के चर्चे सात समंदर पार भी हो गए हैं. बता दें कि बागपत के रटौल गांव में आम की खुशबू को वैश्विक पहचान मिल गई है. आम की इस वैरायटी को अब जियोग्राफिकल टैग मिल गया है.
रटौल आम को मिला जीआई टैग
मेरठ मण्डल के उप निदेशक उद्यान डॉक्टर विनीत कुमार ने बताया कि रटौल आम सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान में ही पाया जाता है. इसलिए आम की इस वेरायटी को जीआई टैग दिया गया है. डॉक्टर विनीत कहते हैं कि वेस्ट यूपी के मेरठ का माछरा और जानी आम के लिए विख्यात है. साथ ही बुलंदशहर का स्याना भी आम के लिए जाना जाता है. लेकिन बागपत के रटौल आम की बात निराली है. वो कहते हैं कि इस बार आम का फूल बहुत अच्छा आया है, इसलिए इस बार आम की रिकॉर्ड पैदावार हो सकती है. उन्होंने बताया कि निर्यात की संभावनाओं को लेकर किसान भाईयों को लगातार जानकारी दी जा रही है.
रटौल आम पर पाकिस्तानी भी करते हैं दावा
इस आम की कहानी भी निराली है. वैश्विक पहचान रखने वाले वेस्ट यूपी के रटौल आम की जड़ें तो हिन्दुस्तान में हैं. लेकिन बंटवारे के वक्त कुछ पौधे यहां से ले जाने वाले पाकिस्तानी यदा-कदा इसे अपने यहां अऩवरी रटौल के तौर पर बताते हैं. भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इस आम के मुरीद थे. जानकार बताते हैं कि इंदिरा गांधी को इस आम की ख़ुशबू बहुत पसंद आती थी.
जब इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान में खाए रटौल आम
कहानी कुछ ऐसी ही है कि एक बार इंदिरा गांधी अपने प्रधानमंत्रित्व काल में पाकिस्तान गईं तो उन्हें रटौल आम खिलाया गया और बताया गया कि ये वेरायटी पाकिस्तान की है. लेकिन इंदिरा गांधी को जब बाद में मालूम चला कि जिस आम को पाकिस्तानी अपना बता रहे हैं, दरअसल उसकी जड़ें हिन्दुस्तान में हैं तो वो सिर्फ मुस्कुरा दीं. वेस्ट यूपी के कई इलाकों में रटौल आम की खेती ख़ूब होती है और इस आम से लोग दिली मोहब्बत करते हैं. कई किसान तो ऐसे हैं जो सिर्फ निशानी के तौर पर इसे अपने बाग में लगाते हैं.
जानें कैसे पहुंचा रटौल आम पाकिस्तान
रटौल आम का साइज छोटा जरूर है, लेकिन मिठास और खुशबू ऐसी है कि भुलाए नहीं भूलती. जानकार बताते हैं कि वर्ष 1936-40 के आस पास रटौल निवासी मोहम्मद आफाक और हाजी बदरूदीन रटौल नाम की प्रजाति का पौधा लेकर पंजाब गए थे. बंटवारे के समय कुछ लोग इसी पौधे को लेकर पाकिस्तान चले गए. इसके बाद पाकिस्तान भी इस प्रजाति पर समय-समय पर दावा करता रहता है. बागपत के रटौल गांव में एक दौर ऐसा भी हुआ जब आम की दावत खाने के लिए देश के दिग्गज लोग आते थे. अभिनेता फारूख शेख, बलराम जाखड़, मुलायम सिंह, अजीत सिंह समेत अन्य दिग्गज यहां आते रहे. इसके अलावा गांव से दिल्ली में प्रधानमंत्री को भी रटौल का आम भिजवाया जाता था. कह सकते हैं कि रटौल आम हिन्दुस्तान की शान है.
Prashant RaiPrashant Rai is a seasoned journalist with over seven years of extensive experience in the media industry. Having honed his skills at some of the most respected news outlets, including ETV Bharat, Amar Ujala, a…और पढ़ेंPrashant Rai is a seasoned journalist with over seven years of extensive experience in the media industry. Having honed his skills at some of the most respected news outlets, including ETV Bharat, Amar Ujala, a… और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंhomeuttar-pradeshजब पाकिस्तान में इंदिरा गांधी ने खाए रटौल आम, किस्सा है खास, अब मिला जीआई टैग