जब बलिया की महिलाएं हो गई थी बागी, लिख दी आजादी की इबारत, जज को चूड़ियां पहनाईं, कलेक्टर छोड़ भागे थे दफ्तर

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Last Updated:August 20, 2025, 10:45 ISTBallia News: आजादी की घोषणा करने वाली जानकी देवी का नाम आज इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. वैसे, बलिया को बागी कहा जाता है, यही कारण रहा कि उस समय इस जिले की चर्चा शायद दुनिया के कोने-कोने मे…और पढ़ेंबलिया: जिले की बागी महिलाओं को देख अपने ऑफिस को छोड़ भाग गए कलेक्टर… जी हां हम बात कर रहे हैं बलिया जनपद से जुड़ी उस अगस्त क्रांति की, जिसने पूरे देश में इतिहास रच दिया. पूरी दुनिया को हैरत में डालने वाली बलिया की महिलाओं ने जज को भी शर्म से पानी-पानी कर दिया. परग़ना अधिकारी को भगाकर खुद न्याय और आजादी की घोषणा करने वाली जानकी देवी का नाम आज इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. वैसे, बलिया को बागी कहा जाता है, यही कारण रहा कि उस समय इस जिले की चर्चा शायद दुनिया के कोने-कोने में जिले नहीं, बल्कि एक देश के रूप में होने लगी थी.

इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने कहा कि सन 1942 में बलिया की जन क्रांति की जब ब्रिटिश गुलाम देश में आजादी के लिए तड़प थी, लेकिन कोई आगे नहीं आ रहा था. 9 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में जब अंग्रेजों भारत छोड़ो करो या मरो का नारा दिया गया, तो बलिया से आजादी की चिंगारी सुलग उठी और 10 अगस्त 1942 को उमाशंकर सोनार के नेतृत्व में आजादी का पहला जुलूस निकाला गया.

इसके तीसरे दिन अर्थात 13 अगस्त 1942 को वीरांगना जानकी देवी के नेतृत्व में गायत्री देवी और रूपा देवी इत्यादि अनेकों शहर की महिलाओं ने जुलूस निकाला और सबसे पहले जजी कचहरी पहुंची. जजी कचहरी पर उन्होंने जज साहब से कहा कि जज साहब या तो आप हमको न्याय दीजिए या इस कुर्सी को छोड़ दीजिए. जज साहब का मुंह लटक गया, उनके मुंह से बोल नहीं निकल रहे थे. तब महिलाओं ने जज को चूड़ियां भेंट की.

जजी कचहरी पर फहर रहे गुलाम झंडे को उतार करके और वहां भारतीय तिरंगा लहरा दिया. यहीं नहीं जब महिलाओं ने कलेक्ट्रेट की तरफ जाना शुरू किया, तो यह बात डीएम को पता चल गई और तत्कालीन डीएम मिस्टर जेएस निगम साहब अपना चेंबर छोड़कर के बंगले की तरफ आग निकले. इसके बाद वहां महिलाएं कलेक्ट्रेट पर फहर रहे यूनियन जैक को उतार करके और भारतीय तिरंगा फहराकर आजादी की घोषणा कर दी. इस दौरान, अपनी कोर्ट में बैठे परगना अधिकारी बलिया मो. ओवैस को भी महिलाओं ने उनकी कोर्ट से भगा दिया.

इसके बाद, जानकी देवी परगना अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर आदेश करने लगी. इस प्रकार बलिया में स्वराज की सरकार चलने लगी थी. इस प्रकार से 13 अगस्त 1942 को ही बलिया में महिलाओं ने आजादी की घोषणा कर दिया था. यह घटना केवल घटना नहीं थी, जब यह खबर फैली तो पूरे दुनिया के लोग दंग रह गए कि आखिर वह कौन सा ऐसा देश है, जो ब्रिटिश का गुलाम था और वहां की महिलाओं ने आजादी छीन लिया है. लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इसे दबाने का प्रयास किया. अंत में जब 24 अगस्त को भारत मंत्री मिस्टर एम्री ने ब्रिटिश संसद की कार्रवाई को रोक करके कहा कि बलिया recontract अर्थात बलिया पर पुनः कब्जा कर लिया गया है, तो पूरी दुनिया दंग रह गई थी.न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Ballia,Uttar PradeshFirst Published :August 20, 2025, 10:45 ISThomeuttar-pradeshजब बलिया की महिलाएं हो गई थी बागी, लिख दी आजादी की इबारत, जज को चूड़ियां पहनाई

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