Uttar Pradesh

Jaunpur News: साधु के भेष में भीख मांग रहा था बेटा, मां ने एक नजर में पहचाना, 13 साल पहले हुआ था लापता

Last Updated:July 18, 2025, 11:56 ISTJaunpur News: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 13 साल पहले लापता हुए एक बेटे और मां के मिलान का भावुक क्षण सभी की आंखें नम कर गया. साधु के भेष में भिक्षा मांग रहे बेटे को देखते ही मां पहचान गई और उससे लिपट कर रोने लग…और पढ़ेंJaunpur News: 13 साल बाद साधु के भेष में मिला बेटा हाइलाइट्सजौनपुर में 13 साल पहले लापता हुआ बेटा साधु के भेष में मिलाभिक्षा मांग रहे साधु को देखते ही मां ने एक नजर में उसे पहचान लियामां और बेटे के मिलन को देख बाजार में मौजूद सभी लोग भावुक हो गएमनोज सिंह पटेल/जौनपुर. उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के चंदवक थाना क्षेत्र में एक मार्मिक घटना ने सभी का दिल जीत लिया. 13 साल पहले रहस्यमयी ढंग से लापता हुआ बेटा, साधु के वेश में अपनी मां से भिक्षा मांगने पहुंचा, और मां की ममता ने उसे एक नजर में पहचान लिया. यह भावुक पुनर्मिलन चंदवक बाजार के दुर्गा मंदिर और रामलीला मंच के पास हुआ, जिसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं.

बलरामपुर गांव निवासी मुखई राम के बड़े बेटे राकेश, जो 2012 में 19 वर्ष की उम्र में अचानक लापता हो गए थे, 13 साल बाद साधु के भेष में अपने गांव लौटे. 17 जुलाई 2025 को चंदवक बाजार के दुर्गा मंदिर के पास कुछ लोगों ने एक साधु को भिक्षा मांगते देखा. स्थानीय लोगों को वह साधु कुछ जाना-पहचाना लगा. सूचना मिलते ही राकेश की मां और उनका भाई बृजेश मौके पर पहुंचे. मां ने जैसे ही साधु को देखा, उनकी आंखें ठिठक गईं और उन्होंने तुरंत अपने लापता बेटे को पहचान लिया.

मां-बेटे का भावुक मिलन

राकेश ने पहले मां को पहचानने से इनकार किया और आगे बढ़ने की कोशिश की, लेकिन मां की ममता और भाइयों के प्रेम ने उन्हें रोक लिया. मां अपने बेटे से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगीं. यह दृश्य इतना मार्मिक था कि वहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गईं. राकेश को देखने के लिए आसपास के गांवों से लोग उनके घर पहुंचे, और इस घटना को ईश्वर का चमत्कार बताया जा रहा है.

13 साल पहले हुआ था लापता

दरअसल, मुखई राम का निधन 18 जनवरी 2012 को हो गया था. इसके बाद उनकी पत्नी अपने तीन बेटों—राकेश, बृजेश, और मंजेश—के साथ कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रही थीं. राकेश के लापता होने के बाद परिवार ने उन्हें ढूंढने की हर संभव कोशिश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला. छोटा बेटा मंजेश रोजी-रोटी के लिए पुणे चला गया, जबकि बृजेश गांव में रहकर मां का सहारा बना. मां ने 13 साल तक अपने बेटे की वापसी की उम्मीद नहीं छोड़ी और हमेशा भगवान से उसकी सलामती की प्रार्थना की.

राकेश का मौन

घर लौटने के बाद राकेश मौन है और किसी से ज्यादा बातचीत नहीं कर रहा. उसने अभी तक यह नहीं बताया कि वह 13 साल पहले कैसे लापता हुआ और साधु कैसे बना. कुछ लोगों के अनुसार, राकेश को गाजीपुर जिले के अमेना गांव (उनके ननिहाल) में भी साधु के वेश में देखा गया था. परिवार और स्थानीय लोग अब भी इस चमत्कार को समझने की कोशिश कर रहे हैं.Amit Tiwariवरिष्ठ संवाददाताPrincipal Correspondent, LucknowPrincipal Correspondent, Lucknow Location :Jaunpur,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshसाधु के भेष में भीख मांग रहा था बेटा, मां ने एक नजर में पहचाना, भावुक था मिलन

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