Is uterus only important to get pregnant gynecologist explain why you need bachhedani and hysterectomy side effects | क्या सिर्फ ‘बच्चा पैदा करने वाला अंग’है यूट्रस? स्त्री विशेषज्ञ से समझें बच्चेदानी क्यों जरूरी

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Is uterus only important to get pregnant gynecologist explain why you need bachhedani and hysterectomy side effects | क्या सिर्फ ‘बच्चा पैदा करने वाला अंग’है यूट्रस? स्त्री विशेषज्ञ से समझें बच्चेदानी क्यों जरूरी



महिलाओं को प्रकृति ने नयी जिंदगी पैदा करने की सुविधा महैया करवायी है. इसके लिए शरीर में कुछ ऐसे सेट ऑफ ऑर्गन्स हैं, जो सिर्फ इसलिए कार्य कर रहे हैं ताकि प्रेग्नेंसी का काम पूरा हो सके. इसमें सबसे बड़ा रोल यूट्रस का होता है. जिसे गर्भाशय, कोख, बच्चादानी और वूम्ब भी कहा जाता है, यह फीमेल रिप्रोडक्शन सिस्टम का एक अहम हिस्सा होता है. नाशपाती के आकार के इस ऑर्गन में ही 9 महीने तक शिशु के शरीर का विकास होता है. हलांकि यह इसका मुख्य कार्य है, लेकिन इसका महत्व इससे कहीं ज्यादा है, जिसे महिलाएं खुद भी नहीं जानती हैं. शायद यही कारण है कि बच्चेदानी निकालना उन्हें ज्यादा राहत का काम लगता है. क्योंकि इससे हर महीने 4-5 दिन ब्लीडिंग, दर्द वाले पीरियड्स और 9 महीने तक प्रेग्नेंसी का मुश्किल सफर हमेशा के लिए खत्म हो जाता है. 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र के बीड में गन्ने के खेतों में काम करने वाली 843 महिला मजदूरों ने हिस्टेरेक्टोमी यानी यूट्रस हटाने वाली सर्जरी करवायी. यह दर राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है. लेकिन सिर्फ यह चौंकाने वाली खबर नहीं है. आपको जानकर हैरानी होगी, बच्चेदानी हटवाने वाली ज्यादातर महिलाओं में 30-35 उम्र की महिलाएं शामिल हैं. इसका कारण पीरियड्स और गर्भधारण से काम में आ रही रूकावट और कार्यक्षमता में आने वाली गिरावट थी. यह एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल देश के वित्तिय स्थिति को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि महिलाएं अपनी सेहत को लेकर कितनी जागरूक है. मीडिया के अनुसार, 2016- 2019 तीन वर्षों में बीड में 4,500 से अधिक महिलाओं ने बिना किसी मेडिकल कंडीशन अपना यूट्रस हटवाया है. हालांकि हमारे शरीर में कुछ ऑर्गन ऐसे हैं, जिन्हें सर्जरी से आसानी से हटाया जा सकता है और इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं. लेकिन यदि आप यूट्रस को ऐसा कोई अंग समझने की भूल कर रहे हैं, तो आप गलत हैं. 
 
एक्सपर्ट की राय
डॉ. मनन गुप्ता, चेयरमैन और एचओडी , प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, एलैंटिस हेल्थकेयर, नई दिल्ली ने जी से बातचीत में बताया कि गर्भाशय केवल एक बच्चे को जन्म देने के लिए नहीं होता. यह महिलाओं के मासिक चक्र, हार्मोन संतुलन, भावनात्मक स्थिरता और यौन स्वास्थ्य से भी गहराई से जुड़ा होता है. इसलिए गर्भाशय को हटाने का निर्णय महिलाओं को सोच-समझकर लेना चाहिए. क्योंकि यह महिलाओं की संपूर्ण सेहत पर असर डालता है. खासतौर पर प्रजनन क्षमता वाली उम्र में इसकी अहमियत फैमिली प्लानिंग से ज्यादा होती है. इसलिए आमतौर पर हिस्टरक्टॉमी की सलाह मेनोपॉज शुरू होने के बाद ही दी जाती है, ताकि इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स कम से कम महिला की जिंदगी को प्रभावित कर सके. 
यूट्रस की जरूरत क्यों है?
बच्चेदानी की जरूरत एक महिला को सिर्फ मां का सुख देने मात्र के लिए नहीं होता है. हालांकि शिशु का विकास बच्चेदानी का मुख्य कार्य है. लेकिन गर्भाशय पीरियड्स के लिए भी जरूरी है, जो कि फीमेल बॉडी का नेचुरल डिटॉक्स प्रोसेस भी है. हर महीने इसकी अंदरूनी परत एंडोमेट्रियम का झड़ना महिला के हार्मोनल स्वास्थ्य का संकेत होता है. इसके अलावा गर्भाशय मूत्राशय और आंत जैसे आस-पास के अंगों को सहारा देना का भी काम करता है. इसलिए इसे हटाने के बाद कुछ महिलाओं को पेल्विक अंगों के खिसकने या पेशाब में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसके साथ ही कुछ महिलाओं में हिस्टरक्टॉमी के बाद यौन इच्छा में कमी, वेजाइनल ड्राइनेस, या ऑर्गैजम के अनुभव में बदलाव देखा गया है, खासकर जब गर्भाशय के साथ अंडाशय भी निकाल दिए जाते हैं.
हिस्टरक्टॉमी कब जरूरी होती है?
एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ मेडिकल कंडीशन में यूट्रस हटाना ही एकमात्र रास्ता होता है. जिससे मरीज एक हद तक नॉर्मल लाइफ जी सके. इसमें बढ़े और दर्दनाक फाइब्रॉयड्स, एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय का कैंसर या प्री-कैंसर कंडीशन, क्रोनिक पेल्विक पेन, गर्भाशय का ढीलापन और एडिनोमायोसिस मुख्य रूप से शामिल हैं. लेकिन यदि उम्र 40 से कम है और बीमारी जानलेवा नहीं है, तो सर्जरी के नतीजे गंभीर हो सकते हैं.
बिना मेडिकल कंडीशन बच्चेदानी हटाने के नुकसान
– बच्चेदानी हटाने से सबसे पहला असर पीरियड्स पर नजर आता है. हिस्टरक्टॉमी से पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं. जिससे अचानक हार्मोन में गिरावट आती है और मेनोपॉज शुरू हो जाता है. इससे हॉट फ्लैश, मूड स्विंग्स, हड्डियों में कमजोरी और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता है.
– बिना गर्भाशय के, पेल्विक अंगों का सहारा कम हो जाता है जिससे पेशाब कंट्रोल करने  या मल द्वार की समस्याएं हो सकती हैं. कुछ महिलाओं में लुब्रिकेशन की कमी या सेक्स के दौरान संवेदना में बदलाव भी देखा गया है.
– जो महिलाएं मां नहीं बनीं उनमें हिस्टरक्टॉमी के बाद डिप्रेशन, आत्म-संवेदना में कमी और पहचान का संकट आ सकता है.

जब हिस्टरक्टॉमी आवश्यक न हो और फिर भी की जाए तो…
स्त्री विशेषज्ञ बताती हैं कि अक्सर युवा महिलाएं जिनकी उम्र 40 से कम होती है और जिन्हें फाइब्रॉयड, भारी ब्लीडिंग या हल्का पेल्विक दर्द होता है, उन्हें जल्दी हिस्टरक्टॉमी की सलाह दी जाती है. जबकि उनके लिए अन्य इलाज जैसे- हार्मोनल थेरेपी, हॉर्मोन युक्त IUD, मायोमेक्टॉमी हैं. ऐसे मामलों में बिना पूरी जानकारी दिए सर्जरी करना, महिला के दीर्घकालिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकता है. 40 वर्ष से कम आयु की महिला में बिना किसी मेडिकल इमरजेंसी के हिस्टेरेक्टॉमी करवाने से समय से पहले मेनोपॉज, हार्ट से संबंधित समस्याओं और ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ सकता है, और भावनात्मक रूप से काफी परेशानी हो सकती है. 
क्या हर महिला को गर्भाशय हटवाना चाहिए?
डॉक्टर मनन तब तक यूट्रस निकलवाने की सलाह नहीं देते है, जब तक कि कोई मेडिकल कंडीशन न हो और इसके इलाज के लिए बच्चेदानी हटाना ही एक मात्र रास्त हो. क्योंकि गर्भाशय सिर्फ एक बच्चा पैदा करने का अंग नहीं है. यह महिला के संपूर्ण स्वास्थ्य, भावनात्मक स्थिरता और आत्म-छवि से जुड़ा होता है. यदि गंभीर बीमारी है, तब तो यह सर्जरी जरूरी और जीवन रक्षक हो सकती है, लेकिन सुविधा, सामाजिक दबाव या कम जानकारी के चलते इसे करवाना खतरनाक हो सकता है. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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