संस्कृति और परंपरा के आधार पर बच्चा होने पर घर में कई तरह के रीति-रिवाजों को किया जाता है. कुछ धर्म में नवजात शिशु को शहद चटाने की रिवाज भी है. पुरानी मान्यताओं के अनुसार, यह मिठास से भरे नए जीवन के शुभ शुरुआत के लिए होता है. लेकिन मेडिकल साइंस के नजरिए से यह महज एक अंधविश्वास है और शिशु के सेहत के लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है. अक्सर माता-पिता सोचते हैं, “थोड़ा-सा ही तो है, इससे क्या होगा?” लेकिन यहां सवाल मात्रा का नहीं, बल्कि समय का है. बच्चे का शरीर, खासकर उसका पाचन और इम्यूनिटी, जन्म के पहले साल में पूरी तरह विकसित नहीं होता. ऐसे में कुछ चीजें, जो बड़ों के लिए सामान्य हैं, बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं. शहद उन्हीं चीजों में से एक है. आसान भाषा में एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए शहद किसी जहर से कम नहीं है. गंभीर मामलों में मौत होने का भी खतरा होता है.
डॉ. लोकेश महाजन, बाल रोग विशेषज्ञ और मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल फरीदाबाद के डिपार्टमेंट हेड बताते हैं कि एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं देना चाहिए. यह बात पूरी तरह से सच है. यह कोई पुरानी या बेवजह की सलाह नहीं है. इसके पीछे ठोस वैज्ञानिक कारण है. शहद से इन्फेंट बॉटुलिज्म होने का खतरा होता है, जो कि एक रेयर और जानलेवा बीमारी है. ये कैसे होता है, लक्षण क्या हैं और बच्चों के लिए मीठे का हेल्दी विकल्प क्या है? इस लेख में हम समझने की कोशिश करेंगे.
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क्या है बोटुलिज्म
बाल रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि बोटुलिज्म एक रेयर लेकिन गंभीर बीमारी है, जो क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक बैक्टीरिया से जुड़ी होती है. यह बैक्टीरिया शहद में मौजूद हो सकता है, चाहे वह कच्चा हो, ऑर्गेनिक हो या पाश्चुरीकृत. ये स्पोर्स वयस्कों और बड़े बच्चों के शरीर में कोई नुकसान नहीं पहुंचाते, क्योंकि उनका पाचन तंत्र इनसे निपटने में सक्षम होता है. लेकिन नवजातों का पेट इतना विकसित नहीं होता कि वह इन स्पोर्स को प्रोसेस कर सके. ऐसे में जब ये स्पोर्स शिशु की आंत में पहुंचते हैं, तो वहां एक्टिव होकर जहर न्यूरोटॉक्सिन बनाते हैं. यह जहर सीधे नर्वस सिस्टम पर असर डालता है, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत, और कभी-कभी जानलेवा स्थिति भी पैदा हो सकती है.
बोटुलिज्म के लक्षण?
– कब्ज – धीमा रोना या सुस्त आवाज- दूध पीने में दिक्कत या धीमी चूसने की ताकत- मांसपेशियों में कमजोरी, शरीर ढीला महसूस होना- पलकों का झुकना- सांस लेने में तकलीफ
क्या थोड़ा-सा शहद भी नुकसान कर सकता है?
इस सवाल के जवाब में एक्सपर्ट बताते हैं कि यह जहर खुराक पर आधारित नहीं होता, बल्कि इस पर निर्भर करता है कि क्या शहद में स्पोर्स मौजूद हैं और उन्हें पनपने की जगह मिलती है या नहीं. शिशु की आंत इसके लिए बिल्कुल सही जगह होती है. इसलिए चाहे शहद की मात्रा बहुत कम एक चम्मच, एक बूंद, या किसी खाने की चीज में मिलाया गया हो, जोखिम बना रहता है.
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शहद के अलावा किन चीजों से बचें?
बच्चे के शुरुआती एक साल बहुत अहम होते हैं इसलिए उनके खानपान को लेकर बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है. हालांकि 6 महीने के बाद बच्चा खाना सीखने लगता है, लेकिन फिर भी उन्हें हर चीज न खिलाएं. बाजार में बच्चों के लिए कई प्रोडक्ट्स मौजूद हैं, उसे भी डॉक्टर के परामर्श के बिना न दें. एक्सपर्ट बताते हैं कि केवल सीधे शहद ही नहीं, बल्कि जिन चीजों में शहद मिलाया गया हो जैसे कुछ रेडीमेड बेबी सीरियल, बिस्किट, देसी नुस्खे या घरेलू टॉनिक उनसे भी बचना चाहिए.
शिशु को मीठे में क्या खिला सकता है?
जब बच्चे को ठोस आहार की आदत डाली जाती है, तो माता-पिता उसकी डिश को थोड़ा स्वादिष्ट बनाना चाहते हैं. ऐसे में आप मीठे में अपने बच्चे को फाइबर और पोटैशियम से भरपूर मसला हुआ केला, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर सेब की प्यूरी बिना चीनी, खजूर का पेस्ट, शकरकंद खिला सकते हैं.
क्या एक साल के बाद शहद देना सुरक्षित है?
डॉक्टर महाजन बताते हैं कि एक साल के बाद बच्चे को शहद देना पूरी तरह से सेफ है. जब बच्चा 12 महीने का हो जाता है, तब उसका पाचन तंत्र काफी हद तक विकसित हो चुका होता है. ऐसे में शहद धीरे-धीरे, कम मात्रा में डाइट में शामिल किया जा सकता है. इससे किसी तरह के जोखिम के होने का खतरा नहीं होता है. लेकिन इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि शहद में किसी तरह का कोई मिलावट न हो.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)