Is full body checkup really beneficial New study makes shocking revelations about mrl | क्या फुल बॉडी चेकअप वाकई फायदेमंद ? नई स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

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Is full body checkup really beneficial New study makes shocking revelations about mrl | क्या फुल बॉडी चेकअप वाकई फायदेमंद ? नई स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा



रेगुलर बॉडी चेकअप जरूरी है. लेकिन जब कोई चीज ट्रेंड बन जाए तो उसकी खासियत को ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जाने लगता है. और आजकल फुल बॉडी चेकअप एक आम ट्रेंड बन चुका है. कई सेलिब्रिटी भी इसकी सिफारिश करते हैं और लोगों से अपील करते हैं कि समय रहते पूरी जांच करवाकर छिपी बीमारियों का इलाज शुरू किया जाए. 
बाजार में कई क्लीनिक सस्ते दामों पर फुल बॉडी स्कैन की सुविधा भी देते हैं. लेकिन सवाल उठता है कि क्या ये स्कैन वास्तव में जान बचाते हैं? हाल ही में लंकास्टर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एडम टेलर द्वारा की गई एक रिसर्च में यह सामने आया है कि MRI स्कैन गंभीर बीमारियों की सही जानकारी देने में सक्षम नहीं हैं. 
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MRI स्कैन नहीं पकड़ पाते जानलेवा बीमारियां
रिसर्च में बताया गया है कि दिल की बीमारियां, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसी बीमारियां दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतों का कारण बनती हैं. लेकिन फुल बॉडी MRI स्कैन इन बीमारियों का पता नहीं लगा पाते. MRI सिर्फ शरीर की बनावट में बदलाव दिखा सकता है, लेकिन यह लक्षणों या कारणों को नहीं समझा पाता.
क्या होते हैं ‘इंसिडेंटलोमास’?
MRI स्कैन में कभी-कभी ऐसे लक्षण दिखते हैं जो असली बीमारी नहीं होते, लेकिन रिपोर्ट में दर्ज हो जाते हैं. इन्हें ‘इंसिडेंटलोमास’ कहा जाता है. इस स्टडी में 16,000 ब्रेन MRI स्कैन का विश्लेषण किया गया, जिसमें देखा गया कि ऐसे झूठे लक्षण कैसे सामने आते हैं.
गंभीर लक्षणों की संभावना बेहद कम
MRI स्कैन से गंभीर बीमारी की जानकारी मिलने की संभावना भी बहुत कम पाई गई – ब्रेन के लिए सिर्फ 1.4%, छाती के लिए 1.3%, और पेट के लिए 1.9%.  साथ ही MRI स्कैन में कई बार ‘फॉल्स पॉजिटिव’ रिपोर्ट्स आती हैं, यानी ऐसे लक्षण जो बीमारी की तरह दिखते हैं, लेकिन होते नहीं.  उदाहरण के लिए, ब्रेस्ट MRI में हर 1000 स्कैन में 97 फॉल्स पॉजिटिव निकले, जबकि प्रोस्टेट में हर 100 में 29.
क्या MRI स्कैन करवाना समझदारी है?
लोग अक्सर यह जानने के लिए MRI करवाते हैं कि उनके शरीर में अंदरूनी तौर पर क्या चल रहा है. लेकिन जब रिपोर्ट में फॉल्स पॉजिटिव या सामान्य (बेनाइन) समस्याएं आती हैं, तो आगे की जांच और इलाज पर भारी खर्च होता है. आम लोगों के लिए MRI रिपोर्ट की भाषा समझना भी आसान नहीं होता. इसके अलावा यह जानने के लिए कि रिपोर्ट सही है या नहीं, और भी कई टेस्ट करवाने पड़ते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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