माधौगढ़ में IPS के दबाव में पुलिस ने उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार किया, महिला के खेत में लगे यूकेलिप्टस के पेड़ कटाकर ठेकेदार को सौंप दिए।
माधौगढ़। न्याय की उम्मीद में पुलिस चौखट पर पहुंची एक महिला की गुहार अनसुनी कर दी गई। आरोप है कि केरल कैडर के एक आईपीएस अधिकारी के दबाव में रामपुरा पुलिस ने न केवल उच्च न्यायालय के आदेशों को ठुकराया, बल्कि कानून और इंसाफ दोनों को शर्मसार कर दिया। मामला धरमपुरा जागीर गांव का है, जहां महिला के नाम दर्ज खेत में खड़े लाखों रुपए कीमत के यूकेलिप्टस के पेड़ ठेकेदार को सौंप दिए गए।
बहू के नाम जमीन, फिर भी जेठ का दावा धरमपुरा जागीर निवासी ओमप्रकाश उपाध्याय ने दानपत्र के जरिए अपनी बहू अंजना उपाध्याय को लगभग आठ बीघा खेत दिया था। खतौनी में महिला का नाम दर्ज है। बावजूद इसके, महिला के जेठ और केरल में तैनात आईपीएस बलराम उपाध्याय ने एसडीएम कोर्ट में आपत्ति दाखिल कर दी। 20 अगस्त को इसी आपत्ति के आधार पर पुलिस ने अंजना को अपने खेत से पेड़ कटवाने से रोक दिया। लेकिन 31 अगस्त को हालात पलटे और पुलिस की मौजूदगी में जेठ ने उसी खेत में पेड़ कटवाना शुरू कर दिया।
आधे सैकड़े पुलिसकर्मी और खाकी का रौब जैसे ही महिला ने आपत्ति की, रामपुरा पुलिस आधा सैकड़ा सिपाहियों के साथ मौके पर पहुंची। महिला ने जमीन के कागजात दिखाए और अपने हक की बात रखी, मगर किसी ने उसकी बात सुनना उचित नहीं समझा। उल्टा पुलिस ने लकड़ी से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को जब्त करने की जगह ठेकेदार को सुपुर्द कर दिया। इस दौरान अंजना अपने 86 वर्षीय ससुर के साथ न्याय की गुहार लगाती रही, लेकिन जवाब मिला कोर्ट जाइए।
हाईकोर्ट की गाइडलाइन भी बेअसर है। स्पष्ट है कि उच्च न्यायालय पहले ही आदेश दे चुका है कि जमीन-जायदाद और राजस्व से जुड़े विवादों में पुलिस का कोई दखल नहीं होगा। इसके बावजूद रामपुरा पुलिस ने न केवल आदेशों की धज्जियां उड़ाईं, बल्कि सीधे तौर पर ठेकेदार को लाभ दिलाया। सवाल यह है कि क्या कानून सिर्फ कमजोरों पर ही लागू होता है और बड़े पदों पर बैठे लोग मनमानी कर सकते हैं?
जनप्रतिनिधि भी बेबस हैं। घटना की जानकारी मिलते ही भाजपा जिलाध्यक्ष और जिला पंचायत अध्यक्ष ने पुलिस अधिकारियों से बात करने की कोशिश की। लेकिन पुलिस ने उनकी भी कोई बात नहीं सुनी। आरोप है कि पूरा तंत्र आईपीएस अधिकारी के दबाव में काम करता रहा। वहीं, महिला और बुजुर्ग ससुर बार-बार हाथ जोड़कर न्याय की गुहार लगाते रहे, मगर पुलिस ने केवल वर्दी की ताकत दिखाना ही उचित समझा।