Intermittent Fasting: आज के समय में इंटरमिटेंट फास्टिंग का चलन बहुत बढ़ गया है. ज्यादातर वेट लॉस करने वाले लोग इस फास्टिंग पैटर्न को फॉलो करते हैं. मगर इसको लेकर एक नई स्टडी में चौंका देने वाला खुलासा हुआ है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के 19 मार्च को रिलीज हुए एक अध्ययन के अनुसार वो लोग जो इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं उनकी मृत्यु का खतरा 91% तक बढ़ सकता है. ये स्टडी अपने आप बहुत बड़ी खतरे को उजागर करता है. इसलिए आइए इस स्टडी के बारे में डिटेल में समझते हैं और उससे पहले ये भी समझेंगे कि इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या होता है.
क्या होता है इंटरमिटेंट फास्टिंग? (What is Intermittent Fasting?)
इंटरमिटेंट फास्टिंग में इंसान अपनी डाइट को एक निश्चित समय सीमा में सीमित करता है और फिर अधिक समय तक खूद को भूखे रहते हैं. इंटरमिटेंट फास्टिंग का सबसे लोकप्रिय तरीका 16:8 है, जहां लोग 16 घंटे उपवास करते हैं और 8 घंटे खूब खाते-पीते हैं. 16 घंटे के उपवास के दौरान, केवल ब्लैक कॉफी, पानी, या बिना चीनी या दूध की चाय का सेवन करते हैं.
क्या कहती है स्टडी?
अब स्टडी के बारे में जानते हैं, इस स्टडी के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग का पैटर्न अपनाने वालों में हार्ट संबंधी बीमारियों से मृत्यु का खतरा बढ़ा जाता है. इस स्टडी में 20,000 से अधिक अमेरिकी वयस्कों को शामिल किया गया, जिनकी औसत उम्र 49 वर्ष थी. अध्ययन में पाया गया कि जो लोग रोजाना सिर्फ 8 घंटे ही अपनी डाइट लेते हैं, उनमें हृदय रोग से मृत्यु का खतरा ज्यादा था, जबकि जो लोग सामान्य तरीके से अपने डाइट को 12 या 14 घंटे में बांट कर खाते हैं वो सेहतमंद होते हैं और उनमें बीमारियों का खतरा कम होता है.
अध्ययन में शामिल लोगों को औसतन 8 साल और अधिकतम 17 साल तक ट्रैक किया गया. इस स्टडी में यह भी पाया गया कि मौजूदा हृदय रोग वाले लोगों में, रोजाना 8 से 10 घंटे कम खाने से हृदय रोग या स्ट्रोक से मृत्यु का खतरा 66% तक बढ़ जाता है.
बचाव के उपाय-
इससे बचाव का उपाय बहुत आसान है, एक सामान्य दिनचर्या फालो करें. डाइट में फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर चीजों को दिनचर्या में शामिल करें. बैलेंस डाइट लें और खुद को हाइड्रेट रखने के लिए हर दिन 7-8 गिलास पानी पीएं.
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