रिपोर्ट- सनन्दन उपाध्यायबलिया. पवित्र गंगा सबकी मां है. इसकी महिमा निराली है. धर्म-कर्म में हमेशा सबसे आगे पूजी जाने वाली. लाखों-लाख लोगों को जीवन देने वाली इसी गंगा को हम और आप लगातार प्रदूषित कर रहे हैं. इससे बेचैन कुछ लोगों ने अपना पूरा जीवन गंगा के लिए समर्पित कर दिया है. इन्हीं में से एक हैं रमाशंकर तिवारी.

कोई समाज के लिए तो कोई गरीब असहायों के लिए अपना जीवन समर्पित कर देता है. लेकिन आज हम उस 65 वर्षीय व्यक्ति के बारे में आपको बताएंगे जिसने अपना जीवन गंगा को समर्पित कर दिया. इनका नाम है हरिशंकर तिवारी. इन्होंने गंगा की सफाई को अपने जीवन का मकसद बना लिया है और पिछले 19 साल से इसमें व्यस्त हैं.

गंगा ही जीवन हैतिवारी जी गंगा किनारे लगातार यात्रा करते रहते हैं. जहां जहां से गंगा गुजरती है ये अपने खर्च पर वहां जाते हैं और जहां भी पानी में गंदगी मिलती देखते हैं वहां सफाई में जुट जाते हैं. क्लीन गंगा को हरिशंकर तिवारी ने अपना मिशन बना लिया है. ये सिर्फ सफाई ही नहीं करते बल्कि समाज को राह दिखाने के लिए किताबें भी लिखते हैं. चौथा स्तंभ, ईश्वर की एक झलक और गंगा ही ज्ञान नामक तीन पुस्तकें भी इन्होंने लिखी हैं.

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गंगा मेरी मांहरिशंकर तिवारी अपने इरादे के पक्के हैं. बलिया में एक मंदिर है भृगु मंदिर. वहां इन्होंने संकल्प लिया है कि अब जो जीवन बचा है वह गंगा के लिए ही समर्पित होगा. अभी इनकी उम्र 65 साल है. वो कहते हैं मैं लगातार 19 वर्षों से मां गंगा की सेवा कर रहा हूं. मैंने बलिया के प्रसिद्ध भृगु मंदिर में संकल्प लिया है कि अब जो जीवन बचा है वह गंगा के सेवा में ही व्यतीत होगा. मैं दूर-दूर जाकर जहां-जहां गंगा है उनकी साफ-सफाई कर अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं. मैं वैवाहिक जीवन से दूर हूं. किन्हीं परिस्थितियों में मैंने विवाह नहीं किया. आज ईश्वर ही मेरा सब कुछ है.

मां गंगा के लिए जीवन समर्पितनेम छपरा के रहने वाले रमाशंकर तिवारी ने 1881 में गोरखपुर विश्वविद्यालय बलिया से समाजशास्त्र में एमए किया. सन 2005 में पूरा भारत भ्रमण किया. 16 अक्टूबर 2005 को गंगा को साफ करने का भृगु मंदिर में संकल्प लिया. वो कहते हैं मैंने ठान लिया कि अब बचा हुआ पूरा जीवन मां गंगा के लिए ही समर्पित करूंगा. हरिद्वार से लेकर पटना तक जाकर मैंने गंगा की साफ सफाई की है. अब जब तक यह शरीर रहेगा तब तक मां गंगा की सेवा करूंगा. मां गंगा की सेवा में मेरे 19 साल बड़े ही राहत और सुकून के साथ गुजरे.

तीन किताबेंरमाशंकर तिवारी ने तीन पुस्तकें भी लिखीं. पहली पुस्तक चौथा स्तंभ नामक प्रकाशित हुई इसका विमोचन 23 अगस्त 1998 को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने किया. दूसरी पुस्तक मेरी ज्ञान गंगा प्रकाशित हुई जिसका विमोचन राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया था. और तीसरी पुस्तक ईश्वर की एक झलक प्रकाशित हुई इसका विमोचन 31 दिसंबर 1999 को कहानीकार एवं भाषा के महान विद्वान पंडित विद्या निवास मिश्र ने किया. वो कहते हैं ईश्वर की एक झलक मुझे ईश्वर के करीब होने का एहसास दिलाती है.
.Tags: Balia, Ganga river, Local18FIRST PUBLISHED : January 11, 2024, 11:19 IST



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