इंद्र से युद्ध, टूटा था पर्वत! ऋषि की तपोभूमि पर ऐसे पड़ा चित्रकूट का नाम, पुजारी ने सुनाई सदियों पुरानी रहस्यमयी कथा

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Last Updated:June 15, 2025, 20:12 ISTChitrakoot News Today: चित्रकूट का नाम ऋषि चित्रा मुनि के नाम पर पड़ा, जिन्होंने यहां घोर तपस्या की थी. इंद्रदेव को उनकी तपस्या से खतरा महसूस हुआ और युद्ध हुआ, जिससे पर्वत दो हिस्सों में बंट गया.हाइलाइट्सचित्रकूट का नाम ऋषि चित्रा मुनि के नाम पर पड़ा, जिन्होंने यहां घोर तपस्या की थी.इंद्रदेव को उनकी तपस्या से खतरा महसूस हुआ.इसके बाद युद्ध हुआ, जिससे पर्वत दो हिस्सों में बंट गया.चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट केवल धार्मिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह वही भूमि है जहां प्रभु श्रीराम ने साढ़े ग्यारह वर्ष तक अपने वनवास काल का बड़ा हिस्सा बिताया था। माना जाता है कि यहीं से उनके जीवन की कई लीलाएं शुरू हुईं, जिनका उल्लेख रामायण और अन्य ग्रंथों में मिलता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस धरती को चित्रकूट का नाम क्यों और कैसे मिला?ऋषि चित्रा मुनि ने की थी तपस्या

चित्रकूट के साधु संतों के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व इस क्षेत्र के घने जंगलों और शांत पहाड़ियों में एक महान ऋषि चित्रा मुनि तपस्या किया करते थे। वर्षों तक कठोर साधना करने के बाद उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी। उनकी तपस्या इतनी प्रभावशाली थी कि देवताओं के स्वामी इंद्र तक व्याकुल हो उठे। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इंद्रदेव को आशंका हुई कि कहीं ऋषि की तपस्या से उनका पद न डोल जाए। इसी आशंका में उन्होंने चित्रा मुनि की तपस्या को भंग करने के लिए युद्ध का मार्ग अपनाया था.

इंद्र से युद्ध और पर्वत का विभाजन

वही चित्रकूट के पुजारी मोहित दास बताते हैं कि इस स्थान का पर्वत और वृंदावन का गोवर्धन पर्वत वास्तव में एक ही थे। जब इंद्र और चित्रा मुनि के बीच युद्ध हुआ, तो उस महायुद्ध में यह विशाल पर्वत दो भागों में टूट गया। एक भाग चित्रकूट में रहा और दूसरा गोवर्धन के रूप में स्थापित हो गया।माना जाता है कि जब इंद्रदेव को अपने कर्म पर पछतावा हुआ और उन्हें चित्रा मुनि की तपस्या का महत्व समझ आया, तब उन्होंने पर्वत के एक टुकड़े को पुनः स्थापित करने में सहयोग किया।

चित्रकूट का नाम यूं पड़ा ‘चित्रकूट’

उन्होंने आगे बताया कि चित्रकूट नाम दो शब्दों से मिलकर बना है,चित्रा और कूट जिसमें चित्रा ऋषि का नाम है और कूट का अर्थ होता है पहाड़ या पर्वत। यानी चित्रा ऋषि का पर्वत। यही नाम कालांतर में ‘चित्रकूट’ के रूप में प्रसिद्ध हो गया,इतिहास और पुराणों में यह स्थान ‘महर्षियों की तपोभूमि और ‘देवताओं की लीला स्थली के रूप में आज भी वर्णित है।Location :Chitrakoot,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshइंद्र से युद्ध, टूटा था पर्वत! ऋषि की तपोभूमि पर ऐसे पड़ा चित्रकूट का नाम

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