गाजीपुर का ऐतिहासिक बोरिंग पंप: 50 सालों से किसानों की सिंचाई और खेतों की हरियाली में अहम योगदान
गाजीपुर के एक ऐतिहासिक बोरिंग पंप ने पिछले करीब 50 सालों से किसानों की सिंचाई और खेतों की हरियाली में अहम योगदान दिया है. 1974 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उद्घाटित यह पंप सिर्फ तकनीकी साधन नहीं बल्कि क्षेत्र की कृषि और सामाजिक विरासत का भी प्रतीक बन चुका है. आइए जानते है इसकी खासियत.
गाजीपुर के एक खेत में आज भी वह कुआं और बोरिंग पंप खड़ा है, जिसकी नींव और उद्घाटन कभी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने हाथों से किया था. 1974 में, जब भारत तकनीक के शुरुआती दौर में था, अमेरिकी इंजीनियर की मदद से यह पंप लगाया गया था. आज, 2025 में भी यह पंप किसानों के लिए जीवनदायिनी पानी उपलब्ध कराता है.
गाजीपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के लगभग 5–10 बीघा खेतों में हर साल मोटा अनाज उगाया जाता है, जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का, कोदो, सावां, रागी और कंगनी. ये अनाज किसानों के लिए पोषण, बाजार और आजीविका का अहम जरिया हैं. मोटा अनाज कम पानी में भी उगता है, लेकिन गर्मियों में फसल को जीवन देने के लिए लगातार सिंचाई बेहद जरूरी होती है. यही काम यह ऐतिहासिक बोरिंग पंप करता है. पिछले करीब 50 सालों से इस जगह नया कोई दूसरा पंप नहीं लगाया गया. चाहे पानी का स्तर कितना भी बदल जाए, किसानों की सिंचाई और खेतों की हरियाली इसी पंप पर निर्भर रहती है. इस पंप ने गाजीपुर में कृषि विज्ञान केंद्र की पहचान भी बनायी.
गाजीपुर का यह कुआं और बोरिंग पंप सिर्फ तकनीकी उपकरण नहीं, बल्कि राजनीतिक कनेक्शन और नेतृत्व की कहानी भी बयां करता है. साल 1974 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया. इस दौरे के पीछे राजेश्वर सिंह के मजबूत राजनीतिक संबंधों का भी अहम योगदान था. राजेश्वर प्रसाद सिंह, जिन्हें गाजीपुर का ‘मदन मोहन मालवीय’ कहा जाता था, क्षेत्र में शिक्षा, समाज सेवा और विकास के क्षेत्र में अग्रणी रहे. उनके दिल्ली तक गहरे राजनीतिक संपर्क थे, जिनकी वजह से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का गाजीपुर आकर इस पंप का उद्घाटन करना संभव हुआ.
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उद्घाटित यह बोरिंग पंप सिर्फ एक मशीन नहीं है, बल्कि गाजीपुर की सामाजिक और कृषि विरासत का अहम स्तंभ है. उनकी दूरदर्शिता और भरोसे के साथ शुरू की गई इस योजना ने आज भी किसानों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाया हुआ है. यह बोरिंग पंप गाजीपुर के गांवों में प्रेरणा का प्रतीक है. यह साबित करता है कि सही योजना, आधुनिक तकनीक और स्थानीय प्रयास मिलकर दशकों तक जीवनदायिनी प्रभाव डाल सकते हैं. किसानों की सिंचाई, खेतों की हरियाली और मोटे अनाज की पैदावार—सबमें आज भी इस पंप की अहम भूमिका कायम है.