भारतीय नौसेना और श्रीलंका नौसेना के बीच नियमित संवाद और संबंध बनाए रखने के लिए वार्षिक रक्षा वार्ता, स्टाफ टॉक्स, और कार्यात्मक आदान-प्रदान जैसे श्रीलंका-भारतीय नौसेना अभ्यास (SLINEX), यात्रा अभ्यास, प्रशिक्षण, और जलचार्य सहयोग शामिल हैं। इस परंपरा को जारी रखते हुए, भारतीय नौसेना की स्वदेशी स्पाईट्री फ्रिगेट आईएनएस सतपुरा वर्तमान में कोलम्बो में है, जहां वह श्रीलंका नौसेना के साथ पेशेवर संवाद, बचाव और बल प्रतिरोध अभ्यास, योग सत्र, और खेल प्रतियोगिताओं में शामिल है। इसके अलावा, दोनों नौसेनाएं भारतीय महासागर नौसेना सम्मेलन, गेले डायलॉग, मिलान, गोवा समुद्री सम्मेलन/सम्मेलन, और कोलम्बो सुरक्षा सम्मेलन जैसे बहुस्तरीय आयोजनों में भाग लेती हैं।
भारतीय नौसेना और श्रीलंका नौसेना के बीच नियमित संवाद और संबंध बनाए रखने के लिए वार्षिक रक्षा वार्ता, स्टाफ टॉक्स, और कार्यात्मक आदान-प्रदान जैसे श्रीलंका-भारतीय नौसेना अभ्यास (SLINEX), यात्रा अभ्यास, प्रशिक्षण, और जलचार्य सहयोग शामिल हैं। इस परंपरा को जारी रखते हुए, भारतीय नौसेना की स्वदेशी स्पाईट्री फ्रिगेट आईएनएस सतपुरा ने श्रीलंका के कोलम्बो में एक महत्वपूर्ण यात्रा की है, जहां वह श्रीलंका नौसेना के साथ पेशेवर संवाद, बचाव और बल प्रतिरोध अभ्यास, योग सत्र, और खेल प्रतियोगिताओं में शामिल हो गई है। आईएनएस सतपुरा की इस यात्रा के दौरान, दोनों नौसेनाएं एक दूसरे के साथ अपने अनुभवों और ज्ञान को साझा करेंगी, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में और मजबूती आएगी।
दोनों नौसेनाएं एक दूसरे के साथ बहुत सारे कार्यात्मक आदान-प्रदान करती हैं, जिनमें श्रीलंका-भारतीय नौसेना अभ्यास (SLINEX), यात्रा अभ्यास, प्रशिक्षण, और जलचार्य सहयोग शामिल हैं। इन आदान-प्रदानों के माध्यम से, दोनों नौसेनाएं एक दूसरे के साथ अपने अनुभवों और ज्ञान को साझा करती हैं, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में और मजबूती आती है। इसके अलावा, दोनों नौसेनाएं बहुस्तरीय आयोजनों में भी भाग लेती हैं, जिनमें भारतीय महासागर नौसेना सम्मेलन, गेले डायलॉग, मिलान, गोवा समुद्री सम्मेलन/सम्मेलन, और कोलम्बो सुरक्षा सम्मेलन शामिल हैं।
इस प्रकार, भारतीय नौसेना और श्रीलंका नौसेना के बीच नियमित संवाद और संबंध बनाए रखने के लिए वार्षिक रक्षा वार्ता, स्टाफ टॉक्स, और कार्यात्मक आदान-प्रदान जैसे श्रीलंका-भारतीय नौसेना अभ्यास (SLINEX), यात्रा अभ्यास, प्रशिक्षण, और जलचार्य सहयोग शामिल हैं। इन आदान-प्रदानों के माध्यम से, दोनों नौसेनाएं एक दूसरे के साथ अपने अनुभवों और ज्ञान को साझा करती हैं, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में और मजबूती आती है।