Indian Cricket Team: भारतीय क्रिकेट का इतिहास काफी स्वर्णिम रहा है. साल 1983 में भारत ने पहली बार वनडे वर्ल्ड कप (ODI World Cup) जीता, तब कप्तानी दिग्गज ऑलराउंडर कपिल देव (Kapil Dev) संभाल रहे थे. उस वक्त क्रिकेटरों को इतने पैसे भी नहीं मिलते थे. लोग शौक और जुनून के अलावा देश-विदेश घूमने के मकसद से क्रिकेट को अपनाते थे. अब हाल काफी जुदा हैं. साल 2000 में ऐसा ही एक खुलासा हुआ, जब भारत ही नहीं पूरा क्रिकेट जगत सन्न हो गया था. ये खुलासा था पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज प्रभाकर (Manoj Prabhakar) का जिन्होंने दावा किया कि कपिल देव ने उनसे मैच में खराब प्रदर्शन करने को कहा था.कहानी अभी बाकी हैलाइव टीवी
अजहर का आया था नाम
साल 2000 में दक्षिण अफ्रीकी टीम भारत दौरे पर आई थी, तब टीम के कप्तान हैंसी क्रोनिए (Hansie Cronje) ने मैच फिक्सिंग की. पहले तो उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया लेकिन जब अधिकारियों ने दबाव बनाया और सबूत दिखाए तो वह पूरी तरह टूट गए. उन्होंने मैच फिक्सिंग को कबूल किया और माना कि उन्होंने इस खेल पर दाग लगाया. इतना ही नहीं, उन्होंने मोहम्मद अजहरुद्दीन तक का नाम लिया और कहा कि साल 1996 में भारत दौरे पर इस भारतीय ने ही उन्हें बुकी से मिललाया था. जब ये खुलासे हुए तो सभी को लगने लगा कि अब क्रिकेट की छवि पूरी तरह धूमिल हो जाएगी.
फिर मनोज प्रभाकर के खुलासे से मचा तहलका
पत्रकार अनिरुद्ध बहल और तरुण तेजपाल ने तब ‘तहलका’ की स्थापना की थी. दोनों ने उस समय पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज प्रभाकर को भारतीय क्रिकेट में मैच फिक्सिंग के खुलासे को राजी किया. प्रभाकर ने व्हिसल-ब्लोअर की भूमिका निभाई. प्रभाकर ने दोनों खोजी पत्रकारों के साथ गुप्त-रिकॉर्डिंग डिवाइस और एक पिनहोल कैमरा पहने हुए कुछ खिलाड़ियों और अधिकारियों से बातचीत की. तभी उन्होंने दावा किया कि कपिल देव ने उन्हें लाखों रुपये की पेशकश की थी.
संसद तक पहुंच गया था मामला
मनोज प्रभाकर ने दावा किया कि साल 1994 में श्रीलंका में एक मैच के दौरान खराब प्रदर्शन करने के लिए 25 लाख रुपये की पेशकश की गई थी. उनके इस खुलासे से क्रिकेट जगत में तहलका मच गया था. मनोज प्रभाकर और दोनों पत्रकारों ने नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई तरह के दावे किए. सीबीआई जांच तक की गई, संसद में इस पर बहस हुई. हालांकि कपिल देव पर कभी भी इस तरह के आरोप साबित नहीं हुए, इसके अलावा प्रभाकर पर बैन लग गया.
खत्म हो गया सुनहरा करियर
मनोज प्रभाकर का सुनहरा करियर इसी के साथ एक झटके में खत्म हो गया. अपने करियर में 130 वनडे इंटरनेशनल मैच खेले. उन्होंने इस दौरान 157 विकेट लिए, जिसमें 2 बार 5 या इससे ज्यादा विकेट शामिल रहे. वहीं, 39 टेस्ट मैचों की 68 पारियों में प्रभाकर ने 96 विकेट अपने नाम किए. उन्होंने दोनों फॉर्मेट में शतक भी जड़े. प्रभाकर ने टेस्ट फॉर्मेट में 9 अर्धशतक और एक शतक की मदद से कुल 1600 रन बनाए. वहीं,वनडे इंटरनेशनल करियर में उन्होंने 2 शतक और 11 अर्धशतकों की बदौलत कुल 1858 रन बनाए. फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर में उन्होंने 385 विकेट लिए और कुल 7469 रन बनाए.
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