Divya Deshmukh on Sexism: भारत की चेस प्लेयर दिव्या देशमुख (Divya Deshmukh) ने दर्शकों के बर्ताव को लेकर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि नीदरलैंड के विज्क आन जी में हाल में संपन्न टाटा स्टील मास्टर्स टूर्नामेंट में उन्हें दर्शकों के गलत व्यवहार का सामना करना पड़ा. उन्होंने यहां तक कहा कि लड़कियों के खेल पर नहीं, बल्कि लोगों का फोकस उनके बाल, कपड़ों, चेहरे और लहजे जैसी अप्रासंगिक चीजों पर होता है. इसके बाद कई अन्य महिलाओं ने भी आपबीती सुनाई.
‘बाल-कपड़े जैसी चीजें देखते हैं’महाराष्ट्र के नागपुर की रहने वालीं 18 साल की इंटरनेशनल चेस प्लेयर दिव्या देशमुख (Divya Deshmukh) ने सोशल मीडिया पर एक लंबी चौड़ी पोस्ट शेयर की. पिछले साल एशियन महिला शतरंज चैंपियनशिप जीतने वालीं दिव्या ने कहा कि महिला खिलाड़ियों को नियमित रूप से स्त्री द्वेष का सामना करना पड़ता है. उन्होंने नोट में लिखा, ‘मैं पिछले कुछ वक्त से इस पर ध्यान दिलाना चाहती थी, लेकिन टूर्नामेंट खत्म होने का इंतजार कर रही थी. मैंने देखा है कि कैसे चेस में महिलाओं को अक्सर दर्शक हल्के में लेते हैं. सबसे हालिया उदाहरण टाटा स्टील मास्टर्स टूर्नामेंट है. मैंने अच्छे मैच खेले, लेकिन लोगों ने बताया कि कैसे दर्शकों को खेल से कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि वे खेल के अलावा दुनिया की हर एक चीज पर फोकस कर रहे थे, जैसे मेरे कपड़े, बाल, लहजा और हर दूसरी अप्रासंगिक चीजें.’
 

कमेंट्स की आई बाढ़
इस पोस्ट परर कमेंट्स की बाढ़ आ गई. एक यूजर ने दावा किया कि वेन्जेन जू के साथ भी ऐसा ही हुआ था, जब वह मैग्नस के साथ थीं. उन्हें बस वहीं खड़े रहना था जबकि अन्य लोग फोटो के लिए उनकी सीट पर बैठे थे. जॉर्जिया की महिला ग्रैंडमास्टर केती सात्सालाशविली ने लिखा- आपने बहुत सही कहा दिव्या. इस मामले को सबके सामने लाने की जरूरत है. इसके अलावा एक अन्य यूजर ने लिखा-महिलाओं को भी बराबरी का सम्मान मिलना चाहिए. रमन नाम के अन्य यूजर ने लिखा- ये एक बुरी असलियत है. आप उन लोगों पर ध्यान मत दो. आपके सच्चे सपोर्टर आपके साथ हैं. 
‘खिलाड़ी को ये सब नहीं चाहिए’
भव्या नाम की एक महिला ने लिखा- खुशी है कि आपने इस बारे में बात की. मैंने भी देखा कि लोग इस चीज को बहुत अजीब मानते हैं, मेरा मतलब है कि वह एक पेशेवर शतरंज खिलाड़ी हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश का प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन आप लोग उनके बारे में तारीफ करते हैं कि वह कितनी सुंदर है. उनके कपड़े कितने अच्छे/बुरे हैं. वह कैसे बैठती हैं और ब्ला ब्ला, लेकिन हां, ये सब बेवकूफी भरा है और ऐसी सराहना किसी खिलाड़ी को नहीं चाहिए. खिलाड़ी बस यही चाहता है कि लोग उसके कौशल, उसकी मानसिकता, उसके खेलने के तरीके को पसंद करें. अब समय आ गया है कि किसी व्यक्ति का समर्थन करना बंद कर दिया जाए क्योंकि वह सुंदर है (शायद महिलाओं) उनकी प्रतिभा को देखें और फिर उनका समर्थन करें क्योंकि उन्हें सुंदरता से नहीं बल्कि कड़ी मेहनत से यह मिलता है.’
दिव्या टाटा स्टील मास्टर्स में चैलेंजर्स वर्ग में 4.5 के स्कोर के साथ 12वें स्थान पर रहीं. उन्होंने कहा कि पुरुष खिलाड़ियों को उनके खेल के लिए स्पॉटलाइट मिल रहा था, जबकि महिलाओं को उन पहलुओं के लिए आंका गया था जिनका शतरंज बोर्ड पर उनकी क्षमता से कोई लेना-देना नहीं था.



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