इंडोनेशिया और भारत के बीच पारंपरिक चिकित्सा को लेकर समझौता हुआ है. भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी, आयुष मंत्रालय और इंडोनेशिया खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण के बीच पारंपरिक चिकित्सा गुणवत्ता को लेकर यह डील दोनों देश के बीच हुई है. भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति, श्री प्रबोवो सुबिआंतो ने 25 जनवरी, 2025 को दिल्ली में हैदराबाद हाउस में यह समझौता हुआ है.
चिकित्सा सहयोग पर हुआ समझौताइस समझौते से पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा और इसकी गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों में सुधार होगा. मंत्री प्रतापराव जाधव ने बताया है कि यह समझौता ज्ञापन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है. स्वास्थ्य संबंधी मामलों पर एक साथ काम करके, दोनों देश महामारी, उभरती बीमारियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और सेहत से संबंधी चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं.
आयुष मंत्रालय के सचिव ने कही ये बात आयुष मंत्रालय के सचिव, वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा- इस सहयोग के द्वारा हम अधिक से अधिक ज्ञान के आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं. दुनिया भर में लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका को मजबूत कर रहे हैं. भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी के लिए फार्माकोपिया आयोग (PCIM and H) गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (QMS) के लिए एक IS/ISO 9001:2015 प्रमाणित संस्थान है जो भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी के लिए मानकों की स्थापना और रखरखाव का काम करता है. इस साझेदारी से सभी हितधारकों को लाभ होगा.
एशिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के रूप में, इंडोनेशिया और भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र अपनी भूमिका को मजबूत करना चाहते हैं. स्वास्थ्य संबंधी मामलों पर दोनों देश एक साथ काम करके, महामारी, उभरती बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को दूर कर सकते हैं.
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