Archery World Cup: भारतीय तीरंदाजी टीम वीजा में देरी के कारण अमेरिका में सत्र के पहले विश्व कप चरण एक टूर्नामेंट में नहीं खेल सकी. इस कारण टीम को पदक से हाथ धोना पड़ा है. इसका खुलासा भारतीय कोच जीवनजोत सिंह तेजा ने किया. भारत का प्रदर्शन इस टूर्नामेंट में हमेशा शानदार रहा है. दुनिया की नंबर एक भारतीय महिला कंपाउंड टीम ने 2024 में दांव पर लगे तीनों स्वर्ण पदक जीते थे.
इन तीन खिलाड़ियों को समय पर नहीं मिला वीजा
भारतीय टीम की तीन सदस्य अदिति स्वामी, मधुरा धामनगांवकर और तनिपर्थी चिकिथा को समय पर अमेरिकी वीजा नहीं मिला. तीनों खिलाड़ी इस कारण फ्लोरिडा के ऑरबर्नडेल में प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकीं. यहां तक कि कोच जीवनजोत सिंह तेजा भी खुद अमेरिका नहीं जा सके. इसके बाद उन्होंने कहा, ”निश्चित रूप से यह पदक से चूकने जैसा था.”
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पिछले साल जीते थे तीन स्वर्ण
जीवनजोत सिंह तेजा ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ”हमारी महिला टीम स्पर्धा जीतने की शत प्रतिशत संभावना थी. हमने पिछले साल शंघाई, येचियोन और अंताल्या में आयोजित विश्व कप के सभी तीन स्वर्ण पदक जीते थे. लेकिन दुर्भाग्य से वीजा में देरी के कारण हम इस बार अपना खिताब नहीं बचा सके.” 2022 में द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता तेजा ने 2021 में तोक्यो में हरविंदर सिंह को भारत का पहला पैरालंपिक तीरंदाजी पदक (कांस्य) दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी. पिछले साल पेरिस पैरालंपिक में जब हरविंदर ने ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता था, तब भी वह मौजूद थे.
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तीन महीने पहले वीजा के लिए किया गया था आवेदन
तेजा ने बताया कि भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) ने तीन महीने पहले वीजा के लिए आवेदन कर दिया था. उन्होंने कहा, ‘‘हमने तीन महीने पहले चयन ट्रायल आयोजित किए थे और टीम की घोषणा करने के तुरंत बाद हमने अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन कर दिया था. हमें ‘बैकलॉग’ के बारे में पता था.” अमेरिकी दूतावास और बाद में खेल मंत्रालय के साथ प्रयासों के बावजूद वीजा आठ अप्रैल को जारी किए गए, तब तक कंपाउंड प्रतियोगिता शुरू हो चुकी थी. भारत को इस टूर्नामेंट के लिए 23 सदस्यीय दल भेजना था जिसमें तीरंदाज, कोच और सहायक कर्मचारी शामिल थे. पर बार-बार देरी के बाद केवल 14 सदस्यों के लिए वीजा की मंजूरी मिली.
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