मोरिंगा यानी सहजन का पेड़ भारत में प्राचीन समय से ही सेहत और पोषण का खज़ाना माना जाता रहा है. इसे चमत्कारी पेड़ भी कहा जाता है, क्योंकि इसके पत्ते, फूल, फल, बीज और छाल, हर हिस्सा किसी न किसी रूप में शरीर को संजीवनी देने का काम करता है. यही वजह है कि आज मोरिंगा दुनिया भर में सुपरफूड के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है.
मोरिंगा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें विटामिन A, C, E, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. सहजन की पत्तियों को सुपरफूड माना जाता है. इसके नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी पावर बढ़ती है और थकान दूर होती है.
आयुर्वेद में भी मोरिंगा को कई बीमारियों के इलाज में कारगर माना गया है. यह ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है, इसलिए शुगर के मरीजों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं माना जाता. मोरिंगा के बीजों से निकला तेल त्वचा और बालों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. यह एंटीऑक्सीडेंट और मॉइस्चराइजिंग गुणों से भरपूर होता है, जिससे त्वचा में नमी बनी रहती है और झुर्रियों से बचाव होता है.
मोरिंगा की सब्ज़ी और पत्तियों का नियमित सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करता है और शरीर को अंदर से डिटॉक्स करता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं, जो जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत पहुंचाते हैं. इसके अलावा, यह लीवर की कार्यक्षमता सुधारने और हृदय रोगों से बचाने में भी सहायक है.
खेती के दृष्टिकोण से भी सहजन यानी मोरिंगा किसानों के लिए लाभदायक फसल है. यह पेड़ कम पानी में भी आसानी से उग जाता है और एक बार लगाने पर सालों तक लगातार फल देता रहता है. सहजन यानी मोरिंगा के उत्पादों की मांग देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लगातार बढ़ रही है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी का बड़ा अवसर मिल सकता है.
इस तरह मोरिंगा सिर्फ एक पौधा भर नहीं, बल्कि सेहत, सौंदर्य और समृद्धि का अकूत भंडार है. घर में इसकी पत्तियों का सेवन या बगीचे में एक पेड़ लगाना न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि पूरे परिवार की सेहत की सुरक्षा भी करता है. मोरिंगा आज के दौर में वह प्राकृतिक औषधि बन चुका है, जो हर घर के लिए जरूरी होता जा रहा है, क्योंकि इसमें एक स्वस्थ जीवन का राज छिपा है.

