Uttar Pradesh

इलाहाबाद HC का आदेश, कहा- शहीद सैनिकों का अंतिम संस्कार राज्‍य की जिम्‍मेदारी, 6 माह में बनाएं कानून



प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याची की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए शहीद सैनिकों के अंतिम संस्कार की प्रक्रियाओं को पूरा कराने के लिए एक अहम निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार एक ऐसा अधिनियम बनाए, जिससे कर्तव्य पालन के दौरान शहीद हुए सैनिकों के पार्थिव शरीर को प्राप्त करने, अंतिम संस्कार और किसी भी अन्य संबद्ध मामलों के लिए प्रोटोकॉल निर्धारित किया जा सके. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसके लिए यूपी सरकार को छह महीने का समय दिया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस आदेश की कॉपी यूपी मुख्य सचिव को भेजी जाए. जबकि यह आदेश जस्टिस अजय भनोट ने गोरखपुर निवासी विवेक यादव उर्फ सूर्य प्रकाश यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.
इसके साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, ‘राज्य का दायित्व और कर्तव्य है कि देशभक्त अनसुने न रह जाएं और देश की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैन्य नायकों को पूरा सम्मान दें. शहीदों का सम्मान न करने वाले देश की आजादी कायम नहीं रहती.’
सरकार तैयार करे अधिनियम: हाईकोर्ट हाईकोर्ट ने कहा कि एक राष्ट्र जो स्वतंत्रता की रक्षा और शांति बनाए रखने के लिए अपने शहीदों का सम्मान नहीं करता है, उसकी स्वतंत्रता और शांति खो जाएगी. भारत ने गुलामी की कीमत जानी है और भारतीयों ने स्वतंत्रता की कीमत चुकाने में कभी संकोच नहीं किया है. कोर्ट ने कहा कि शहीदों के कार्यों को हमेशा याद किया जाना चाहिए. राज्य का गंभीर दायित्व देश की रक्षा में अंतिम बलिदान देने वाले सैन्य नायकों को पूर्ण सम्मान देना है. यह उसका कर्तव्य है कि उसके देशभक्त बिना रोये, असम्मानित और अनसुने न रह जाएं. इसके साथ कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार को सर्वोच्च सैन्य अधिकारियों से परामर्श करने और सम्मान के साथ व्यवहार करने के लिए अधिनियम तैयार करने पर विचार करने का निर्देश दिया, जो अपने कर्तव्य के दौरान मरने वाले सैनिक की याद दिलाएं.
शहीद को सम्मान न मिलने पर हुआ था आंदोलनयह मामला सीमा पर शहीद हुए धनंजय यादव के पार्थिव शरीर आने पर गोरखपुर जिला प्रशासन की ओर से सम्मान न दिए जाने से जुड़ा हुआ है. प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि जिला प्रशासन ने शहीद को सम्मान देने में प्रोटोकॉल का अनुपालन नहीं किया. इसके विरोध में बहुत से लोग प्रदर्शन पर उतर आए. बाद में इसने उग्र आंदोलन का रूप धारण कर लिया. मामले में पुलिस ने याची सहित 56 लोगों के खिलाफ नामजद और 100 अज्ञात व्यक्तियों को आरोपी बनाते हुए गोरखपुर के चौरीचौरा थाने में एफआईआर दर्ज की. आरोपियों पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 332, 333, 353, 307, 427, 336, 290, 291, 120-बी, 188, 436 आईपीसी और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम और धारा 3/4 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
गौरतलब है कि निचली अदालत ने याची की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. याची ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट के समक्ष जमानत की अर्जी दाखिल की. याची का कहना था कि उसके खिलाफ प्राथमिकी केवल जिला प्रशासन द्वारा अपनी ड्यूटी निभाने में विफल रहने से ध्यान हटाने और लोकतांत्रिक असंतोष को दबाने के लिए दर्ज की गई थी. कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए याची को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |Tags: Allahabad high court, Martyred Jawan, UP GovernmentFIRST PUBLISHED : June 19, 2022, 19:30 IST



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