Uttar Pradesh

इको फ्रेंडली दीपावली: झांसी में तैयार हैं गाय के गोबर से बने लक्ष्मी-गणेश, चीनी उत्पादों के लिए बन रहे चुनौती



हाइलाइट्सगोबर से बनी मूर्तियां बनाने की योजना को नगर निगम देगा विस्तारखास तरह के सांचों में ढल रही हैं गाय के गोबर की मूर्तियांझांसी. कोरोनाकाल बीतने के बाद इस बार दीपावली पर खास रौनक नजर आ रही है. बाजारों में चमक है तो चाइनीज उत्पादों से भी लोगों का मोहभंग दिख रहा है. ऐसे में कुछ जगहों पर देशी उत्पादों की भी पहल की गई है जो लोगों को खास तौर पर आकर्षित कर रहे हैं. झांसी नगर निगम ने भी कुछ ऐसा ही किया है. दीपावली को इको फ्रेंडली बनाने के लिए झांसी की गौशाला में एकत्रित होने वाले गाय के गोबर से लक्ष्मी गणेश और अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाओं के साथ ही कई तरह के सजावटी सामग्रियां तैयार की गई हैं. इसकी बिक्री के लिए एक काउंटर भी शुरू कर दिया गया है.
झांसी महानगर में संचालित कान्हा उपवन गौशाला की देखरेख और संचालन का जिम्मा झांसी नगर निगम के पास है. यहां करीब 600 गायें हैं. नगर निगम के अफसरों के मुताबिक कान्हा उपवन गौशाला से निकलने वाले गोबर से झांसी नगर निगम इस दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां तैयार कर उनकी बिक्री कर रहा है. लक्ष्मी-गणेश सहित अन्य देवी देवताओं की इन मूर्तियों की खासियत यह है कि इन्हें गाय के गोबर से तैयार किया जा रहा है. नगर निगम द्वारा संचालित कान्हा उपवन गौशाला में संरक्षित गाय के गोबर से लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों का निर्माण कर उन्हें ग्राहकों के लिए बिक्री के लिए रखा गया है.

कान्हा उपवन गौशाला से निकलने वाले गोबर से झांसी नगर निगम इस दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां तैयार कर उनकी बिक्री कर रहा है.

गोबर से बनी मूर्तियां बनाने की योजना को देंगे विस्तारबताया गया है कि उत्तर प्रदेश की कई अन्य गौशाला से निकलने वाले गाय के गोबर से इस तरह की मूर्तियां और सजावटी सामग्री बनाई जा रही हैं. इसी को देखते हुए नगर निगम के अफसरों ईको फ्रेंडली गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियां तैयार की. अधिकारी के मुताबिक अभी कान्हा उपवन गौशाला में वर्तमान में कार्यरत कर्मचारियों की मदद से प्रयोग के तौर पर छोटे पैमाने पर यह काम शुरू हुआ है. दीपावली पर्व को देखते हुए लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों के साथ ही दीयों का भी निर्माण किया जा रहा है. मूर्तियां बनाने के लिए खास तरह के सांचे मंगाए गए हैं और उनकी मदद से मूर्तियां तैयार की जा रही हैं. आने वाले दिनों में प्रयोग सफल होने पर और आवश्यकता पड़ने पर स्वयं सहायता समूहों अथवा बेरोजगार युवाओं की भी इस काम में मदद ली जाएगी. धनतेरस और दीपावली को लेकर गोबर से बनी इन मूर्तियों की खरीदारी को लेकर लोगों में खास दिलचस्पी दिखाई दे रही है.

गोबर से ही बनेंगी लकड़ियां, सर्दियों के अलाव में जलेंगी
झांसी नगर निगम के अफसरों की मानें तो गौशाला से प्रतिदिन कई कुंतल गोबर निकलता है. गोबर से जिस तरह लोग कंडों का निर्माण करते रहे हैं तो उसी तर्ज पर हम लकड़ी की लाठी की तरह आकार देने की तैयारी कर रहे हैं. पशु कल्याण अधिकारी डॉ राघवेंद्र सिंह बताते हैं कि इस दीपावली पर लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों और दीया के निर्माण के साथ ही आने वाली सर्दियों को लेकर भी नगर निगम विशेष प्रबंध करने जा रहा है. गौशाला में गाय के गोबर से विशेष तरह के लट्ठे तैयार किये जा रहे हैं, जिनका उपयोग आने वाले दिनों में सर्दियों में अलाव में जलाने के लिए किया जाएगा. हमें उम्मीद है कि अलाव के लिए लकड़ियों की होने वाली खपत को कम करेगा. यह प्रयोग पर्यावरण संरक्षण में कारगर साबित होगा.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Diwali, Diwali festival, Jhansi newsFIRST PUBLISHED : October 24, 2022, 05:42 IST



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