निखिल त्यागी/सहारनपुर.सहारनपुर जनपद लकड़ी पर नक्काशी की कारीगरी के लिए दुनिया में एक अलग ही पहचान रखता है. जनपद से लकड़ी पर नक्काशी के विभिन्न उत्पाद विदेशों में एक्सपोर्ट किए जाते है. हजारों लोगों का रोजगार इस उद्योग से जुड़ा हुआ हैं. लेकिन पहले कोरोना काल उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध और अब इजरायल-हमास के संघर्ष का असर सहारनपुर के इस उद्योग पर साफ देखा जा रहा है. इजराइल-हमास के बीच जारी जंग के दौरान लकड़ी के उत्पादों की मांग कम हुई है.लकड़ी उद्योग चलाने वाले राशिद मलिक ने बताया कि उन्होंने इस कारोबार में पहली बार इतनी मंदी देखी है. उन्होंने बताया कि लकड़ी की नक्काशी के उत्पाद तैयार करना हमारा खानदानी कारोबार रहा है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल व रूस यूक्रेन-युद्ध के दौरान बाजार में आई मंदी से हम उबर भी नहीं पाए थे कि अब इजरायल और हमास के बीच जारी जंग ने निर्यात होने वाले उत्पादको पर लगभग रोक ही लगा दी है. जिससे कारोबारी में भारी निराशा देखी जा रही है.व्यापार में आई 80 प्रतिशत तक गिरावटराशिद मलिक ने बताया कि हमास और इस्राइल के बीच जारी संघर्ष के दौरान निर्यात करने वाली कंपनी ने सभी कारोबारियों को उत्पाद भेजने से रोक दिया है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा उत्पाद तैयार करने वाली कंपनियों के वेयरहाउस उत्पादकों से भरे पड़े हुए हैं. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर भी इसका असर देखने को मिला है. राशिद मलिक ने बताया कि विदेश की बात छोड़ दी जाए तो देश में भी इस कारोबार की हालात अच्छे नहीं है. घरेलू बाजार में भी मंदी है. उन्होंने बताया कि व्यापारियों को विकट परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि इस कारोबार में करीब 80 प्रतिशत तक गिरावट आई है.दो लाख लोगों पर पड़ रहा है असरराशिद मलिक ने बताया कि लकड़ी के कारोबार से जनपद के करीब दो लाख लोगों की रोजी-रोटीजुड़ी हुई है. इस मंदी के कारण इन सभी लोगो पर प्रभाव पड़ रहा है. राशिद मलिक ने बताया कि सहारनपुर के लकड़ी उद्योग से सरकार को रेवेन्यू के रूप में अच्छी खासी रकम मिल जाती है. उन्होंने बताया कि यूरोप में छाई मंदी का असर सहारनपुर के लकड़ी बाजार पर देखने को मिल रहा है. हालांकि उन्होंने संभावना जताई कि रूस यूक्रेन युद्ध और इजराइल-फिलिस्तीन का संघर्ष बंद होने के दौरान एक बार फिर बाजार में सुधार हो जाएगा..FIRST PUBLISHED : October 30, 2023, 21:13 IST



Source link