ignoring leg pain thinking its fatigue could be a serious disease | थकान समझकर टाल रहे हैं पैरों का दर्द? कहीं हो तो नहीं रही है ये गंभीर बीमारी

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ignoring leg pain thinking its fatigue could be a serious disease | थकान समझकर टाल रहे हैं पैरों का दर्द? कहीं हो तो नहीं रही है ये गंभीर बीमारी



Venous Disease: दिनभर के काम के बाद पैरों में दर्द या भारीपन महसूस होना लोगों को आम आम बात लग सकती है. बहुत से लोग इसे थकान या फिर उम्र से जुड़ी मामूली परेशानी समझकर इग्नोर कर देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पैरों में होने वाला लगातार दर्द किसी गंभीर नसों की बीमारी का संकेत भी हो सकता है? खासकर जब ये परेशानी हर दिन बढ़ रही हो या आराम करने के बाद भी समस्या बनी रहती हो.
हमारे शरीर में नसें ब्लड फ्लो को बनाए रखने में बड़ी भूमिका निभाती हैं. नसें शरीर के अलग-अलग हिस्सों से ब्लड को वापस दिल तक ले जाती हैं. जिससे वही खून दोबारा साफ होकर पूरे शरीर में जा सके. लेकिन जब इन नसों में कोई समस्या आ जाती है, तो इसका असर ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है.
इसी को ही  Venous Disease यानी कि नसों की बीमारी कहते हैं. इस बीमारी में पैरों में सूजन, जलन, दर्द, भारीपन या फिर उभरी हुई नसों जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. अगर समय रहते इसका इलाज न कराया जाए तो यह गंभीर रूप भी ले सकती है. लेकिन राहत की बात यह है कि इसे सही जानकारी और इलाज से सही किया जा सकता है. आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से.
Veins Disease क्या होती है?
नसें हमारे शरीर में खून को दिल तक पहुंचाने का काम करती हैं. ये शरीर की सर्कुलेटरी सिस्टम का हिस्सा होती हैं. वहीं जब किसी कारण से नसें कमजोर हो जाती हैं तो ठीक से काम नहीं कर पातीं हैं. इससे खून का फ्लो खराब हो जाता है और कई तरह की समस्या हो सकती हैं. नसों के अंदर छोटे-छोटे वॉल्व होते हैं. जब मशल्स सिकुड़ती हैं, तो ये वाल्व खुलते हैं और खून को आगे बढ़ने लगता है. और जब मसल्स ढीली होती हैं, तो वॉल्व बंद हो जाते हैं जिससे खून पीछे न वापस आए. लेकिन अगर ये वॉल्व खराब हो जाएं, तो खून दूसरी तरफ बहने लगता है या फिर इकट्ठा होने लगता है.
अब जानिए कितनी तरह की होती है ये बीमारी
ब्लड क्लॉट हाथ, पैर, आंतों, फेफड़ों, दिमाग या किडनी की नसों में बन सकते हैं.डीप वेन थ्रॉम्बोसिस  बीमारी तब होती है जब नस में खून का थक्का बन जाए, यह खतरनाक हो सकता है. अगर वो फेफड़ों तक पहुंच जाए. सुपरफिशियल थ्रॉम्बोफ्लेबाइटिस नाम की बीमारी में चेहरे के पास की नसों में ब्लड क्लॉट होने लगता है. ये आमतौर पर उतना खतरनाक नहीं होता है.क्रॉनिक वेनस इनसफिशिएंसी में नसें कमजोर हो जाती हैं और खून सही तरीके से वापस दिल तक नहीं जा पाता, तो वो पैरों में इकट्ठा होने लगता है. इससे पैरों में सूजन, दर्द, स्किन का रंग बदलना और कभी-कभी घाव तक हो सकते हैं. वेनस अल्सर की समस्या ज्यादातर टखनों के पास होते हैं.
क्या है नसों की बीमारी के लक्षण
पैरों में दर्द या मांसपेशियों में ऐंठनशरीर के किसी हिस्से में गर्माहटत्वचा पर रेडनेसपैरों में भारीपन या थकावटजलन या खुजलीसूजननसों का उभरकर दिखना
बीमारी के कारण
जन्म से नसों में कमजोरीकिसी चोट की वजह सेहाई ब्लड प्रेशरपहले से नसों से जुड़ी कोई बीमारी होनाउम्र बढ़ने के साथ नसों का कमजोर होनाप्रेग्नेंसी, सिस्ट या ट्यूमर की वजह से दबाव
किन लोगों को ज्यादा खतरा होता है?जिनके परिवार में पहले से किसी को ये बीमारी होगर्भवती महिलाएंमोटापा जो लोग लंबे समय तक बैठकर या खड़े होकर काम करते हैंहार्मोनल दवाएं या गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाले लोगस्मोकिंग करने वाले लोग
Venous Disease का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी कितनी गंभीर है. शुरुआती दौर में लाइफस्टाइल में बदलाव करके इस बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है. जैसे वजन कंट्रोल करना, डेली वॉक करना, लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने से बचना, और सोते समय पैरों को थोड़ा ऊंचा रखना जैसे उपाय खून के बहाव को बेहतर बनाते हैं. साथ ही स्मोकिंग छोड़ना और ढीले कपड़े पहनना भी नसों पर पड़ने वाले दबाव को कम करता है. वहीं अगर इन सब से आराम न मिले तो तुरंत हेल्थ एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी इसे अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.



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