Pre-diabetes: भारत में तेजी से डायबिटीज के पेशेंट बढ़ रहे हैं. अब यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं रही. युवाओं में भी प्री-डायबिटीज के खूब मामले सामने आ रहे हैं. प्री-डायबिटीज वह स्टेज होती है जब ब्लड शुगर लेवल सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है लेकिन अभी डायबिटीज की श्रेणी में नहीं आता है. अगर इस स्थिति को समय रहते नहीं पहचाना गया और सावधानी न अपनाई जाए तो, तो यह टाइप-2 डायबिटीज़ में बदल सकती है. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते सावधान हो जाएं और उन आदतों पर ध्यान दें जो आपकी सेहत को खराब कर सकती हैं. आइए जानते हैं प्री-डायबिटीज से जुड़े जरूरी संकेत, सावधानियां और उपाय.
डायबिटीज को लेकर डॉक्टरों का मानना है कि अगर लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव किया जाए, खासकर डाइट में तो न सिर्फ टाइप-2 डायबिटीज को रोक सकते हैं, बल्कि प्री-डायबिटीज से भी पूरी तरह बाहर निकल सकते हैं.
कैसे जानें कि प्री-डायबिटीज है?अक्सर प्री-डायबिटीज में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए हो सकता है कि इसका आपको इस स्टेज में न चले. डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर लोग तभी जानते हैं कि उन्हें प्री-डायबिटीज है, जब रूटीन चेक-अप के दौरान उनके ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ गए होते हैं. प्री-डायबिटीज का खतरा कई वजहों से बढ़ता है, जैसे आपकी एथिनिसिटी, उम्र, डाइट और वजन. इसलिए समय समय पर चेक-अप कराते रहें.
अगर प्री-डायबिटीज है, तो बदलें अपनी डाइटहेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि हर इंसान अलग होता है, इसलिए प्री-डायबिटीज वाले सभी लोगों के लिए कोई एक ही तरह का खाने का तरीका सही नहीं हो सकता है. लेकिन कुछ तरह की डाइट जैसे बहुत ज्यादा फैट वाली, हाई-जीआई (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) और कम फाइबर वाली डाइट, टाइप-2 डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ाने से जुड़ी होती हैं.
अगर आपको प्री-डायबिटीज है या डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है, तो सावधान होने की जरूरत है. एक रिसर्च के अनुसार, कुछ अहम आदतों को अपनाकर आप न सिर्फ टाइप-2 डायबिटीज से बच सकते हैं बल्कि पूरी तरह से इससे छुटकारा भी पा सकते हैं. आइए जानते हैं इन बातों को.
वजन को कम करनाडायबिटीज से बचने के लिए जरूरी है कि वजन न बढ़ने पाए. यानी मोटापा से दूर रहें. अगर कोई व्यक्ति अपने कुल वजन का मात्र 10% भी कम कर लेता है, तो इससे लीवर की चर्बी कम होती है और डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है. यह हर व्यक्ति के पर्सनल फैट थ्रेशहोल्ड पर निर्भर करता है. यानी प्री डाइबिटीज किसी भी वजन वाले व्यक्ति को हो सकती है.
वजन को स्थिर रखनाबहुत से लोग कम कैलोरी वाली डाइट से तेजी से वजन कम कर लेते हैं लेकिन ऐसी डाइट को काफी समय तक जारी रखना संभव नहीं हो पाता है. इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि आप ऐसा तरीका ढूंढें जिससे आपका वजन लंबे समय तक कम ही बना रहे. हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि शाकाहारी, वीगन डाइट और कार्बोहाइड्रेट को थोड़ा कम करना, ये सब टाइप-2 डायबिटीज़ के खतरे को कम करने से जुड़ी हैं. यह सख्त डाइट रूटीन की तुलना में ज्यादा आसान भी है.
इन चीजों से बचें
एक रिसर्च के अनुसार कुछ कास खाने-पीने की चीजों को टाइप-2 डायबिटीज़ के बढ़ते खतरे से जोड़ा गया है. इसलिए इन्हें अपनी रोज की डाइट में कम करना लाभकारी होगा. इनमें शामिल हैं
मीठे पेय, लाल व प्रोसेस्ड मीट, रिफाइंड कार्ब्स और फ्रेंच फ्राइज जैसी चीजें डायबिटीज़ के खतरे को बढ़ाती हैं. ये वजन बढ़ाती हैं और शरीर की इंसुलिन संवेदनशीलता को कमजोर करती हैं. बार-बार आलू खाना भी टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है, इसलिए आलू का सेवन कम करना चाहिए.
डाइट में जरूर शामिल करें ये चीजेंवहीं कुछ खाने-पीने की चीजें ऐसी भी होती हैं जो टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम करने का काम करती हैं. 2012 की एक स्टडी में सामने आया कि जड़ वाली सब्ज़ियां और हरी पत्तेदार सब्जिया खाने से डायबिटीज टाइप-2 का खतरा कम होता है. वहीं साल 2013 की एक स्टडी में सामने आया कि कुछ खास फल भी डायबिटीज का खतरा कम करते हैं, जिनमें ब्लूबेरी, अंगूर और सेब सबसे ऊपर रहे. इसके साथ ही साबुत अनाज, दही और कम फैट वाली चीजें डायबिटीज़ के खतरे को कम करती हैं. बिना चीनी वाली चाय और कॉफी भी इसमें लाभकारी साबित हो सकती है.
हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि सही खानपान और वेट को कंट्रोल करके टाइप-2 डायबिटीज को रोका जा सकता है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.