Uttar Pradesh

हाइब्रिड मोड पर साइबर सुरक्षा के जागरूकता कार्यशाला चंदौली में आयोजित की गई थी : अधिकारियों ने कहा कि डिजिटल जागरूकता की जरूरत समय की है

चंदौली में साइबर अलर्ट! कार्यशाला में छात्रों को मिली डिजिटल सुरक्षा की क्लास

चंदौली में साइबर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन एसआरवीएस स्कूल, पंचफेडवा अलीनगर में किया गया. इस कार्यक्रम में छात्रों, उद्यमियों और आम नागरिकों को डिजिटल सुरक्षा के व्यापक पहलुओं से अवगत कराया गया. कार्यक्रम में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के वर्चुअल संबोधन और साइबर एक्सपर्ट्स के तकनीकी मार्गदर्शन के माध्यम से साइबर ठगी, संदिग्ध लिंक, फिशिंग और डेटा सुरक्षा पर विस्तृत जानकारी साझा की गई.

कार्यक्रम की शुरुआत पुलिस महानिदेशक, साइबर क्राइम उत्तर प्रदेश के वर्चुअल संबोधन से हुई. उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा केवल तकनीक नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी बन चुकी है. बढ़ते ऑनलाइन अपराधों को रोकने में नागरिकों की जागरूकता और सतर्कता सबसे बड़ा हथियार है. उन्होंने कहा कि संदिग्ध गतिविधियों पर तुरंत शिकायत दर्ज करें और कोई भी निजी जानकारी साझा करने से पहले उसकी विश्वसनीयता अवश्य जांचें.

पुलिस महानिदेशक (साइबर क्राइम) ने बताया कि साइबर ठगी होने पर हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत कॉल करें, जिससे धन वापस मिलने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि गोल्डन आवर में 90% तक धन वापस मिल सकता है, जो वित्तीय धोखाधड़ी के पहले एक घंटे में की गई कार्रवाई से होता है.

साइबर फ्रॉड के बढ़ते तरीके और बचाव उपायों पर विस्तृत चर्चा की गई. पुलिस उपमहानिरीक्षक (साइबर क्राइम) ने फ्री वाई-फाई फ्रॉड, APK इंस्टॉल ठगी, OLX स्कैम और ई-कॉमर्स फ्रॉड जैसे मामलों को उदाहरण सहित समझाया. उन्होंने कहा कि शिकायत जितनी जल्दी होगी, संदिग्ध लेनदेन को उतनी तेजी से फ्रीज कराया जा सकता है.

तकनीकी बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की गई. नेशनल साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अमित कुमार दुबे ने फेक वेबसाइट पहचानने, पासवर्ड सुरक्षा, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, फिशिंग ईमेल और सोशल मीडिया प्राइवेसी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी. छात्रों ने कई तकनीकी प्रश्न पूछे, जिनका विशेषज्ञों ने सरल और प्रभावी समाधान दिया.

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