Uttar Pradesh

“हरी सोने की बेल” से होगी मोटी कमाई, बस सर्दियों में अपनाएं ये स्मार्ट खेती के तरीके, जल्द ही आप भी होंगे करोड़पति।

सर्दियों में करें ये स्मार्ट खेती, लौकी देगी गर्मियों जितना मुनाफा, जानिए कैसे

सर्दियों में लौकी की खेती करने के लिए सही किस्म का चयन बेहद जरूरी है. ठंड के मौसम में सामान्य लौकी की पैदावार घट जाती है, लेकिन कुछ उन्नत प्रजातियां ऐसी हैं जो कम तापमान में भी बेहतरीन उत्पादन देती हैं और किसानों को अच्छा मुनाफा दिला सकती हैं. लौकी की खेती आमतौर पर गर्मियों में की जाती है, लेकिन अगर किसान सही तकनीक अपनाएं तो सर्दियों में भी इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ठंड के मौसम में जब बाजार में लौकी की आपूर्ति कम हो जाती है, तब इसके दाम कई गुना बढ़ जाते हैं. ऐसे समय में यह फसल किसानों के लिए हरियाली के साथ कमाई का बेहतरीन साधन बन जाती है. आपको बता दें कि सर्दियों में लौकी की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच करनी चाहिए.

जिन क्षेत्रों में पाले की संभावना होती है, वहां लो टनल या पॉलीहाउस तकनीक का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी होता है, ताकि पौधों को ठंड से बचाया जा सके और फसल की अच्छी पैदावार मिल सके. रायबरेली के कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि ठंड के मौसम में खेती के लिए पुसा नवीन, आर्का बहार, को-1 हाइब्रिड लौकी और पुसा संकर लौकी-1 जैसी किस्में सबसे उपयुक्त हैं. ये प्रजातियां कम तापमान में भी अच्छा उत्पादन देती हैं और सर्दियों के मौसम के लिए इन्हें उन्नत किस्मों में गिना जाता है. लौकी की खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. खेत की 2 से 3 बार जुताई करने के बाद उसमें 20-25 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद मिलानी चाहिए.

ठंड से पौधों की सुरक्षा के लिए किसान प्लास्टिक मल्चिंग शीट का उपयोग कर सकते हैं. वहीं, बीज की बुवाई से पहले ट्राइकोडर्मा या बाविस्टिन से बीज उपचार करना जरूरी है, ताकि पौधे फफूंद जनित रोगों से सुरक्षित रह सकें. लौकी की खेती में पौधों के बीच लगभग 1.5 से 2 मीटर और कतारों के बीच 2.5 मीटर की दूरी रखना उचित रहता है. शुरुआती 20 से 25 दिनों तक पौधों को ठंड से बचाने के लिए लो टनल कवर में रखना लाभदायक होता है. सर्दियों के मौसम में हर 10 से 12 दिन पर सिंचाई पर्याप्त रहती है. वहीं, बेलों को मचान या जाल पर चढ़ाने से फलों का आकार और रंग बेहतर होता है, जिससे बाजार में उनकी कीमत भी बढ़ जाती है. रोग और कीटों से बचाव के लिए किसानों को नीम आधारित स्प्रे या कवकनाशी दवाओं का छिड़काव समय-समय पर करना चाहिए.

यदि पौधों की सही देखभाल और प्रबंधन किया जाए, तो सर्दियों की लौकी से प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल तक की उपज प्राप्त की जा सकती है, जिससे किसानों को शानदार मुनाफा मिलता है. सर्दियों के मौसम में लौकी के दाम 30 से 50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाते हैं, जिससे किसान प्रति हेक्टेयर दो से तीन लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ कमा सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान पॉलीहाउस, मल्चिंग और लो टनल तकनीक अपनाएं, तो सर्दी की यह फसल उनके लिए सचमुच “हरी सोने की बेल” साबित हो सकती है.

You Missed

Scroll to Top