How Toothache turned out to be Lung Cancer life of a 38 year old woman Changed Forever |दांतों का दर्द था, लेकिन निकल आया लंग कैंसर? 38 साल की महिला की जिंदगी ने लिया 360 डिग्री टर्न

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How Toothache turned out to be Lung Cancer life of a 38 year old woman Changed Forever |दांतों का दर्द था, लेकिन निकल आया लंग कैंसर? 38 साल की महिला की जिंदगी ने लिया 360 डिग्री टर्न



Toothache To Lung Cancer: इंग्लैंड की रहने वाली जब केशिया लिबर्ड (Keshia Liburd) को जब दांत दर्द हुआ तो वो डेंटिस्ट के पास गईं, तो उन्हें बताया गया कि उनके दांत पूरी तरह से ठीक हैं. दरअसल, ये पहला इशारा था कि उन्हें स्टेज 4 लंग कैंसर का पता चलेगा और अब उनकी तबीयत अपने बच्चों की आखों के सामने तेजी से बिगड़ रही थी. कई बार बॉडी में छोटा सा चेंज भी बड़ी बीमारी का सिग्नल होता है.
जब हुआ दांत दर्द ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में, हडर्सफील्ड, वेस्ट योर्क्स (Huddersfield, West Yorks) की 38 साल केशिया 2 अलग-अलग डेंटिस्ट के पास गईं और दांत में गंभीर दर्द की शिकायत की, लेकिन उन्हें बताया गया कि उनके दांतों की कंडीशन को देखते हुए चिंता की कोई बात नहीं है.
इस बीमारी का पता चलाजब दर्द बहुत ज्यादा बढ़ गया, तब वो आखिरकार इमरजेंसी डिपार्टमेंट गईं, जहां उनका एक्स-रे किया गया और दर्द के लिए मॉर्फिन दी गई. 16 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद, स्मोकिंग छोड़ चुकी महिला को चौंकाने वाली खबर दी गई कि उन्हें ‘एएलके पॉजिटिव’ फेफड़ों के कैंसर (ALK positive Lung Cancer.) का एक रेयर फॉर्म, स्टेज 3 है.
 
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इस बीमारी में क्या होता है?स्टेज 3 एएलके-पॉजिटिव फेफड़ों के कैंसर का मतलब है कि कैंसर आस-पास के लिम्फ नोड्स या चेस्ट स्ट्रक्चर में फैल गया है और इसमें एएलके म्यूटेशन है. डॉक्टरों के लिए ये एक अहम जानकारी है क्योंकि ये इलाज के फैसलों को गाइड करता है. इस बीमारी में मरीजों के लिए 5 साल तक जिंदा रहने की दर आम तौर पर 13 फीसदी से 36 फीसदी तक होती है.
तकलीफ में इजाफा3 बच्चों की मां केशिया ने कहा,  “मुझे हफ्तों तक दांत में दर्द से दिक्कत होती रही. “मैं डेंटिस्ट के पास गई, मैंने 2 बार एक प्राइवेट डेंटिस्ट को पैसे दिए और मुझे बताया गया कि कोई परेशानी नहीं है. “मुझे अपनी छाती में दर्द हुआ, एक एक्स-रे करवाया, और पहले मुझे बताया गया कि मुझे निमोनिया है. फिर, 16 दिन बाद, मुझे बताया गया कि मुझे कैंसर है.” केशिया ने कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के साथ-साथ हैमर नाइफ सर्जरी भी करवाई. जनवरी 2024 में कैंसर के चले जाने की खबर मिलने के बाद, अगले अप्रैल में केशिया को बुरी खबर मिली कि कैंसर वापस आ गया है, अब स्टेज 4 में है, और उनके फेफड़ों, लिवर और दिमाग में फैल गया है.
बदल गई जिंदगी44 साल उनकी चचेरी बहन किर्स्टी वाटसन (Kirsty Watson), जिन्होंने केशिया की बुरी हालत के कारण बोलने में दिक्कतों के कारण उनकी ओर से बात की, ने कहा: “शारीरिक रूप से, उन्हें घर के आसपास घूमने में मुश्किल हो रही है. आपकी साँस लेना सब कुछ अफेक्ट करता है, चाहे आप उठकर एक कप चाय बना सकें, या अपने बच्चों के साथ किस तरह का क्वालिटी टाइम बिता सकें.
दिमाग पर असर”ये सब कुछ अफेक्ट कर रहा है, सच में. दिमाग के कैंसर के कारण उनकी याददाश्त पर भी असर पड़ा है. वो बहुत सी चीजें भूल रही हैं, आम रोजमर्रा की चीजें, जिसका बच्चों पर भी असर पड़ता है, क्योंकि वो इसे देख सकते हैं. ऐसा लगता है जैसे अपने बच्चों की आंखों के सामने उनकी तबीयत तेजी से बिगड़ गई हैं.”
फंड जुटाने की कोशिश अब, केशिया और उनका परिवार एडवांस्ड ट्रीटमेंट- ट्रांस आर्टेरियल कीमोएम्बोलाइज़ेशन (TACE) और डेंड्राइटिक सेल थेरेपी के लिए 40,000 पाउंड जुटाने की उम्मीद कर रहा है, क्योंकि एनएचएस ने उन्हें बताया है कि अगर उनका लेटेस्ट कीमो का दौर काम नहीं करता है तो वो और कोई ट् नहीं देंगे.
कैसे किया जाता है इलाज?कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक, TACE एक तरह की कीमोथेरेपी है जिसे सीधे ट्यूमर को पोषण देने वाली खून की नस में इंजेक्ट किया जाता है ताकि दवा की एक मजबूत खुराक दी जा सके, जिसके बाद खून की सप्लाई में रुकावट पैदा करने के लिए एक जेल या छोटे मोतियों का इस्तेमाल किया जाता है. डेंड्राइटिक सेल वैक्सून का इस्तेमाल इम्यून सिस्टम को कैंसर सेल्स को पहचानने और उन पर हमला करने में मदद करने के लिए किया जाता है. 
फेफड़ों के कैंसर के लक्षणदांत दर्द फेफड़ों के कैंसर का एक आम सीधा लक्षण नहीं है, लेकिन ये रेफर्ड पेन के जरिए बीमारी से जुड़ा हो सकता है. वेगस नर्व, जो दिमाग से दिल और फेफड़ों सहित दूसरे अंगों तक जाती है, इसका मतलब है कि चेस्ट एरिया में पैदा होने वाले दर्द को जबड़े और दांतों में महसूस किया जा सकता है. शुरुआती स्टेजेज में लंग कैंसर के आमतौर पर कोई इशारे या लक्षण नहीं होते हैं. कंडीशन खराब पर लक्षण डेवलप होते हैं. जैसे- 

1. खांसी जो 3 हफ्ते के बाद भी ठीक नहीं होती.2. एक पुरानी खांसी जो और भी खराब हो जाती है.3. चेस्ट इंफेक्शन जो बार-बार आते रहते हैं4. खांसी में खून आना5. सांस लेते या खांसते समय दर्द6. लगातार सांस फूलना7. लगातार थकान या एनर्जी की कमी8. भूख न लगना या बिना किसी कारण के वजन कम होना
 
फेफड़ों के कैंसर के कम सामान्य लक्षण
1. आपकी उंगलियों के अपीयरेंस में बदलाव, जैसे कि ज्यादा मुड़ी हुई हो जाना, या उनके सिरे बड़े हो जाना (इसे फिंगर क्लबिंग के तौर पर जाना जाता है)2. निगलने में दिर्क (डिस्फेजिया) या निगलते समय दर्द3. घबराहट4. गले में खराश5. आपके चेहरे या गर्दन में सूजन6. लगातार छाती या कंधे का दर्द

लंग कैंसर क्यों होता है?
1. सिगरेट पीना ये सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है, जो लंग कैंसर के ज्यादातर मामलों के लिए जिम्मेदार है. तंबाकू के धुएं में कई जहरीले और कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाले) पदार्थ होते हैं. आप जितना ज्यादा स्मोक करते हैं, जोखिम उतना ही ज्यादा होता है. यहां तक कि कभी-कभार या हल्का धूम्रपान भी खतरे को बढ़ा सकता है. सेकेंड हैंड स्मोक के कॉन्टैक्ट में आना भी जोखिम पैदा करता है. सिगार और पाइप जैसे दूसरे टोबैको प्रोडक्ट्स भी जोखिम बढ़ाते हैं.
 
2. एनवायरनमेंट फैक्टर्स
रेडॉन: ये रेडियोधर्मी गैस, जो अक्सर घरों में पाई जाती है, फेफड़ों के कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है.एस्बेस्टस: निर्माण सामग्री में इस्तेमाल होने वाले मिनरल फाइबर, एस्बेस्टस के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर का जोखिम काफी बढ़ जाता है.एयर पॉल्यूशन: बाहरी और इनडोर दोनों तरह के एयर पॉल्यूशन, जिसमें पार्टिकुलेट मैटर शामिल है, फेफड़ों के कैंसर से जुड़े हैं.वर्कप्लेस पर खतरे: कुछ वर्कप्लेस में कुछ केमिकल्स और सब्सटांस, जैसे कि सिलिका और डीजल के धुएँ, के संपर्क में आने से रिस्क बढ़ सकता है.
 
दूसरे रिस्क फैक्टर्स
उम्र: फेफड़ों के कैंसर का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है.फैमिली हिस्ट्री: फेफड़ों के कैंसर का पारिवारिक इतिहास होने से आपका खतरा बढ़ सकता है.पुराना लंग कंडीशन: सीओपीडी, निमोनिया और टीबी जैसी कुछ फेफड़ों की बीमारियां लंग कैंसर की आशंकाओं को बढ़ा सकती हैं. रेडिएशन थेरेपी: दूसरे तरह के कैंसर के लिए छाती पर रेडिएश थेरेपी भी रिस्क को बढ़ा सकती है.

(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)



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