Uttar Pradesh

आगरा के पेठे की तैयारी कैसे होती है, देश और विदेश में इसकी लोकप्रियता क्यों है, जानें कैसे तैयार होता है पेठा.

आगरा, ताजमहल की नगरी: पेठा सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि आगरा की पहचान और गौरव है. यह मिठास आगरा को देश-विदेश में खास जगह दिलाती है. सादा पेठा जहां लंबे समय तक टिकाऊ और लोकप्रिय है, वहीं पान, चॉकलेट और रॉयल पेठा जैसे नए स्वरूप इस परंपरा को और भी समृद्ध बना रहे हैं. ताजमहल की भव्यता और पेठे की मिठास-दोनों मिलकर आगरा को एक अनोखी पहचान दिलाते हैं।

आगरा न सिर्फ अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जानी जाती है, बल्कि यहां का मशहूर पेठा भी विश्वभर में अपनी पहचान बनाए हुए है. आगरा को “पेठा नगरी” कहा जाना यूं ही नहीं है. यहां बनने वाला पेठा देश-विदेश तक अपनी मिठास का जादू बिखेरता है. आगरा आने वाला हर सैलानी ताजमहल देखने के साथ-साथ यहां का पेठा जरूर चखता और खरीद कर ले जाता है. आगरा में करीब 56 तरह के पेठे बनाए जाते हैं. सादा पेठा से लेकर पान पेठा, चॉकलेट पेठा और रॉयल पेठा तक, हर एक का स्वाद और बनाने की विधि अलग है. पेठे को खास तौर पर सफेद कद्दू या कुम्हड़ा फल से तैयार किया जाता है. सबसे पहले इस फल को अच्छे से धोया जाता है, फिर उसका छिलका और बीज निकालकर अलग-अलग प्रकार की कटिंग की जाती है. इसके बाद उसे उबालकर शुद्ध चाशनी में डाला जाता है. यही चाशनी पेठे को मिठास प्रदान करती है.

चाशनी से आती है मिठास पेठा बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका चाशनी की होती है. शुद्ध पानी और चीनी से तैयार की गई चाशनी पेठे को लंबे समय तक ताजा और स्वादिष्ट बनाए रखती है. सादा पेठा सबसे आसान और टिकाऊ माना जाता है, जबकि अंगूरी पेठा भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. व्यापारी बताते हैं कि सादा और अंगूरी पेठा लंबे समय तक खराब नहीं होता, इसलिए पर्यटक इन्हें ज्यादा खरीदते हैं.

पान और चॉकलेट पेठा की लोकप्रियता आधुनिक दौर में पेठे की किस्में और भी रोचक हो गई हैं. पान पेठा में अंदर गुलकंद की फिलिंग की जाती है, वहीं चॉकलेट पेठा में पारंपरिक मिठास पर चॉकलेट की परत चढ़ाई जाती है. ये नए प्रयोग युवाओं और विदेशी पर्यटकों को खूब भाते हैं. आगरा के व्यापारी बताते हैं कि लगातार नए फ्लेवर के पेठे बाजार में लाए जा रहे हैं ताकि लोगों की बदलती पसंद को ध्यान में रखा जा सके. प्राचीन पेठा व्यवसायी यथार्थ अग्रवाल का कहना है कि सबसे कठिन और महंगा पेठा रॉयल पेठा है. इसे बनाने के लिए पेठे के फल को बेहद पतला छीलना पड़ता है, जो काफी चुनौतीपूर्ण काम होता है. अक्सर पतली परत टूट जाने से नुकसान उठाना पड़ता है. इसके अलावा रॉयल पेठा के लिए खास तरह का मसाला तैयार किया जाता है, जो इसके स्वाद और कीमत दोनों को अलग पहचान देता है.

पर्यटकों की पहली पसंद आगरा आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक पेठा खरीदने से नहीं चूकते. यथार्थ अग्रवाल बताते हैं कि अधिकतर पर्यटक सादा और अंगूरी पेठा पसंद करते हैं क्योंकि यह लंबे समय तक सुरक्षित रहता है. वहीं विदेशी पर्यटक आगरा से लौटते समय पेठे की पैकिंग कराकर इसे अपने साथ ले जाना नहीं भूलते. इस तरह पेठा सिर्फ आगरा की मिठास ही नहीं, बल्कि वहां की संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक बन चुका है.

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