धूम्रपान से होने वाला फेफड़ों का कैंसर एक बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम है. इसके कारण दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हो रही है. अब एक नई शोध ने इस पर एक और महत्वपूर्ण खुलासा किया है. इजरायल के यरूशलेम स्थित हिब्रू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया है कि सिगरेट के धुएं में मौजूद रासायनिक तत्व डीएनए में बदलाव लाते हैं, जो शरीर के नुकसान की मरम्मत की क्षमता को प्रभावित करते हैं और कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं.
इस स्टडी ने यह स्पष्ट किया है कि धूम्रपान के कारण डीएनए में होने वाले केमिकल बदलाव और उसकी मरम्मत की क्षमता यह तय करते हैं कि कैंसर का खतरा कितना अधिक होगा. यह अध्ययन न्यूक्लिक एसिड्स रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इसके अनुसार, सिगरेट के धुएं में पाया जाने वाला बेन्जो(ए)पाइरीन नामक रसायन डीएनए से जुड़कर उसे नुकसान पहुंचाता है और समय के साथ म्यूटेशन पैदा करता है, जिससे फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है.
डीएनए में रासायनिक बदलाव
शोधकर्ताओं ने सिगरेट के धुएं के असर को डीएनए के विभिन्न हिस्सों पर जांचा. अध्ययन में पाया गया कि डीएनए के वे हिस्से जो अधिक एक्टिव होते हैं, वे धूम्रपान से हुए नुकसान के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं. हालांकि, वे खुद को जल्दी ठीक करने में भी सक्षम होते हैं, जिससे उनमें कम म्यूटेशन होते हैं. इसके विपरीत, जो डीएनए के हिस्से मरम्मत में कमजोर होते हैं, वे अधिक म्यूटेशन जमा करते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
इसे भी पढ़ें- 5 सेकेंड में लंग्स कैंसर की पहचान, घर पर करें ये टेस्ट, उंगलियां बता देंगी लक्षण
लंग कैंसर में प्रोटीन का रोल
इस अध्ययन से यह भी पता चला कि कुछ प्रोटीन, जो जीन की गतिविधि को नियंत्रित करते हैं, कभी-कभी डीएनए को बचाने में मदद करते हैं, लेकिन कुछ स्थितियों में वे इसे और अधिक संवेदनशील बना सकते हैं. इसका मतलब है कि डीएनए की मरम्मत करने की शरीर की क्षमता यह निर्धारित करती है कि म्यूटेशन होगा या नहीं, और इसके परिणामस्वरूप कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.
कैंसर के खतरे को समझना
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कैंसर से होने वाली मौतों में 25% मौतें तंबाकू सेवन के कारण होती हैं, और धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का मुख्य कारण है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के परिणामों से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि धूम्रपान कैसे डीएनए को नुकसान पहुंचाता है और म्यूटेशन पैदा करता है, जो बाद में फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकते हैं. बता दें, धूम्रपान करने वालों में जीवनभर फेफड़ों के कैंसर का खतरा न धूम्रपान करने वालों की तुलना में 22 गुना अधिक होता है.
इसे भी पढ़ें- हर साल लाखों लोगों को बेजान कर रहा फेफड़े का कैंसर, बचना है तो इन गलतियों से आज ही कर लें तौबा
-एजेंसी-
Anmol Bishnoi: The phantom trigger-man
Travel and false identities were central to his movements. Punjab Police informed the Intelligence Bureau on June 15,…

