Cancer Risk Among Youth: आज की युवा पीढ़ी यानी Gen Z (जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है) तेजी से एक खतरनाक लत की तरफ बढ़ रही है जिसका नाम है स्मोकिंग. मौजूदा दौर में ट्रेडिशनल सिगरेट के अलवा चरस, गांजा, वेपिंग, ई-सिगरेट और हर्बल स्मोक्स का भी चलन बढ़ा है. इन सभी ऑप्शंस को हद से ज्यादा आजमाया जा रहा है, ये भी शरीर को उतना ही नुकसान पहुंचाते हैं, खासकर जब बात कैंसर की आती है.
कैसे स्मोकिंग बढ़ा रही है कैंसर का रिस्क?
1. कार्सिनोजेनिक केमिकल्स का इनटेकचाहे वेपिंग हो या सिगरेट, इनमें ऐसे केमिकल्स पाए जाते हैं जो शरीर में जाकर म्यूटेशन करते हैं और कैंसर सेल्स को जन्म दे सकते हैं. स्मोकिंग से खास तौर से फेफड़ों का कैंसर, गले का कैंसर, मुंह का कैंसर और ब्लैडर कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
2. कम उम्र में शुरुआत, ज्यादा नुकसानGen Z के कई युवा 13-14 साल की उम्र से ही स्मोकिंग शुरू कर देते हैं. इस उम्र में शरीर और अंगों का विकास चल रहा होता है. ऐसे में स्मोकिंग का असर और भी खतरनाक होता है और लंबे समय तक चलने वाली बीमारी का कारण बनता है.
3. निकोटिन की लतस्मोकिंग और वेपिंग में निकोटिन होता है, जो न सिर्फ लत पैदा करता है बल्कि हार्मोन बैलेंस, इम्यून सिस्टम और सेल ग्रोथ को भी अफेक्ट करता है. ये कंडीशन कैंसर को दावत देती है.
4. मिथ और सोशल मीडिया इफेक्टसोशल मीडिया पर स्मोकिंग को स्टाइल और ‘कूलनेस’ का हिस्सा बताया जाता है, जिससे यंगस्टर्स अट्रैक्ट होते हैं. मगर उन्हें ये एहसास नहीं होता कि ये आदत धीरे-धीरे उन्हें गंभीर बीमारियों की ओर धकेल रही है.
Gen Z को स्मोकिंग की लत से कैसे बचाएं?
1. किसी को स्मोकिंग की लत लगने से पहले ही उनके पैरेंट्स और डॉक्टर जानकारी देना जरूरी है.2. स्कूल और कॉलेजों में एंटी स्मोकिंग अवेयरनेस कैंपेन चलाएं.3. सोशल मीडिया पर रीयल स्टोरीज और हेल्थ कैंपेन के जरिए सही मैसेज दें.4. माता-पिता और दोस्त निगरानी रखें और पॉजिटिव माहौल बनाएं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.