भारत में हेल्थ सर्विसेज के सेक्टर में भले ही कई प्रगतियां हुई हों, लेकिन कुछ बीमारियां अभी भी चुपके से समाज को अपनी चपेट में ले रही हैं. तेलंगाना में एचआईवी/एड्स के बढ़ते मामले हेल्थ एक्सपर्ट और पॉलिसी मेकर्स के लिए एक गंभीर चेतावनी बनकर उभरे हैं. साल 2024 में तेलंगाना में एचआईवी के 9,415 नए मामले सामने आए हैं, जो इस बीमारी के फैलाव की गंभीरता को दर्शाते हैं. यह आंकड़ा न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह भी बताता है कि जागरूकता और रोकथाम के प्रयासों को और तेज करने की जरूरत है.
तेलंगाना स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (TSACS) की ताजा रिपोर्ट ने हेल्थ डिपार्टमेंट को हिलाकर रख दिया है. इस साल 19.02 लाख लोगों की एचआईवी जांच की गई, जिनमें से 9,415 लोग पॉजिटिव पाए गए. यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब हम देखते हैं कि राज्य के 26 जिलों में एचआईवी मरीजों की संख्या हजारों में है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हम इस महामारी को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं? आइए, इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदुओं और विशेषज्ञों की सलाह पर नजर डालते हैं.
2024 की स्थिति और आंकड़ेTSACS के अनुसार, तेलंगाना में 1.24 लाख एचआईवी पॉजिटिव लोग वर्तमान में एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) केंद्रों के माध्यम से फ्री में इलाज प्राप्त कर रहे हैं. राज्य के 13 जिलों में 5000 से ज्यादा मरीज हैं, जबकि अन्य 13 जिलों में 2000 से 5000 के बीच मरीज हैं. स्वास्थ्य मंत्री सी. दामोदर राजा नरसिम्हा ने हाल ही में एक समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी जिलों में जांच की संख्या बढ़ाई जाए, खासकर ज्यादा खतरों वाले ग्रुप पर ध्यान दिया जाए.
जागरूकता और रोकथाम पर जोरमंत्री ने गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के प्रदर्शन की नियमित समीक्षा पर बल दिया और जागरूकता कार्यक्रमों को तेज करने की बात कही. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 2030 तक एचआईवी/AIDS को पूरी तरह कंट्रोल करने के लिए प्रतिबद्ध है. हमारे सभी प्रयास इस लक्ष्य की ओर केंद्रित होने चाहिए.
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