रोज़ा रखना मुसलमानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. हालांकि, जब आप बीमारियों का सामना कर रहे हैं, खासतौर पर कैंसर जैसी जानलेवा डिजीज का तो पहले अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहिए. लेकिन छोटे पर्दे की चहेती बहू हिना खान स्टेज 3 कैंसर होने के बावजूद रमजान के पवित्र महीने में रोजा रख रही हैं.
इसे लेकर एक्ट्रेस और कैंसर सर्वाइवर रोज़लिन खान ने हिना खान को झूठा बताने वाला बयान अपने पीछे दिनों इंस्टाग्राम स्टोरी में दिया था. उन्होंने कहा था कि यह मुमकिन नहीं. क्योंकि कैंसर आपके शरीर को तोड़ देता है कि आप रोजा जैसे मुश्किल फास्ट नहीं रख पाते हैं. ऐसे में हमने सच्चाई को बेहतर तरीके से समझने के लिए डॉ. रमन नारंग, सीनियर कंसल्टेंट – मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल सोनीपत से बात की.
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कैंसर बना देता है शरीर को कमजोर
एक्सपर्ट बताते हैं कि कैंसर और इसके इलाज, जैसे कि कीमोथेरेपी, रेडिएशन, और इम्यूनोथेरेपी, शरीर में थकावट, निर्जलीकरण, और पोषक तत्वों की कमी का कारण बन सकते हैं. इन उपचारों के दौरान मरीजों को अक्सर उल्टियां, कमजोरी और चक्कर आ सकते हैं, जिससे लंबा उपवास रखना मुश्किल हो सकता है.
रोज़ा रखने में परेशानी
डॉक्टर की मानें तो रोज़ा रखना एक गंभीर मुद्दा हो सकता है, खासकर जब कैंसर का इलाज जारी हो. ऐसे में मरीजों को डॉक्टर से सलाह लेकर ही रोज़ा रखने का निर्णय लेना चाहिए. यह ध्यान रखना जरूरी है कि हर मरीज की स्थिति अलग होती है, और एक व्यक्ति के लिए जो सही है, वह दूसरे के लिए नहीं हो सकता.
डॉक्टर से परामर्श के बाद ही करें फास्ट
कैंसर के मरीजों के लिए जिनकी स्थिति स्थिर है या जो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं, उनके लिए रोज़ा रखना संभव हो सकता है, लेकिन इसे डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए. यदि मरीज को रोज़ा रखने की अनुमति मिलती है, तो उन्हें अपनी सेहत का खास ध्यान रखते हुए उपवास रखना चाहिए. चिकित्सक की सलाह से ही यह तय किया जा सकता है कि मरीज के लिए उपवास सुरक्षित है या नहीं. इसके अलावा, कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कई दवाओं के साथ भोजन और पानी लेना जरूरी होता है.
डाइट पर ध्यान देना जरूरी एक्सपर्ट बताते हैं कि कैंसर के मरीजों के लिए उचित पोषण बहुत जरूरी है. अगर उपवास रखने की अनुमति दी जाती है, तो मरीजों को इफ्तार और सहरी के समय में हाई प्रोटीन और एनर्जी वाले फूड्स खाने चाहिए, ताकि शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें. साथ ही, उन्हें डिहाइड्रेशन से बचने के लिए पर्याप्त पानी पीना चाहिए.
रोज़ा नहीं रख पा रहे तो करें ये काम
इस्लामी परंपरा में गंभीर रूप से बीमार लोगों को उपवास रखने से छूट दी जाती है. इस्लाम में यह माना जाता है कि स्वास्थ्य से समझौता करने के बजाय, अन्य प्रकार की इबादत जैसे कि दान (चैरिटी) करना, ज्यादा बार नमाज पढ़ना, और अन्य धार्मिक कार्य करना ज्यादा उचित है. इसलिए, यदि कैंसर के मरीज के लिए रोज़ा रखना सुरक्षित नहीं है, तो उन्हें वैकल्पिक धार्मिक गतिविधियों में भाग लेना चाहिए.
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Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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