आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन और लैपटॉप का इस्तेमाल हर उम्र के लोग करते हैं. बच्चों से लेकर युवा पेशेवर तक, सभी घंटों तक स्क्रीन से चिपके रहते हैं. ऐसे में यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या मोबाइल की रेडिएशन और गर्मी से ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है? खासतौर पर जब मोबाइल को लंबे समय तक कान से लगाकर बात की जाती है.
इस सवाल का जवाब मेडिकल एक्सपर्ट्स और अंतरराष्ट्रीय रिसर्च में भी ढूंढा गया है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) और अन्य वैश्विक संस्थाओं की रिसर्च के अनुसार, अब तक ऐसा कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है जिससे यह साबित हो सके कि मोबाइल या लैपटॉप की रेडिएशन से ब्रेन ट्यूमर हो सकता है.
कैसे हो सकता है ऐसा?पुणे स्थित डीपीयू सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ. सारंग गोटेचा बताते हैं कि मोबाइल और लैपटॉप जैसे डिवाइस नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन छोड़ते हैं, जो इतनी एनर्जी नहीं रखते कि डीएनए को नुकसान पहुंचाकर ट्यूमर की शुरुआत कर सकें. इसके विपरीत, कैंसर पैदा करने वाली आयोनाइजिंग रेडिएशन (जैसे एक्स-रे या यूवी रे) DNA को डैमेज कर सकती हैं.
हालांकि, उनका यह भी मानते हैं कि स्क्रीन का ज्यादा इस्तेमाल ब्रेन की सेहत पर अप्रत्यक्ष रूप से असर डाल सकता है. लगातार स्क्रीन देखने से सिरदर्द, नींद न आना, ध्यान की कमी और आंखों में जलन जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर युवाओं और बच्चों में. वहीं, एक प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट के मुताबिक, “इन लक्षणों का ब्रेन ट्यूमर से सीधा संबंध नहीं है, लेकिन यह हमारी ब्रेन हेल्थ को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकते हैं. स्मार्टफोन या लैपटॉप के सही इस्तेमाल की जागरूकता बेहद जरूरी है.
क्या करें बचाव के लिए?* मोबाइल पर बात करते समय स्पीकर मोड या ईयरफोन का इस्तेमाल करें.* हर 20 मिनट बाद आंखों और दिमाग को आराम दें.* बच्चों को दिन में कम से कम 1-2 घंटे आउटडोर खेल खेलने के लिए प्रेरित करें.* रात में सोने से पहले स्क्रीन से दूरी बनाएं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.