विटामिन शरीर को विकास करने और इम्यूनिटी को बूस्ट करके बीमारियों से बचाने का काम करते हैं. यह आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो बॉडी के फंक्शन को सपोर्ट करते हैं. वैसे तो हमारे बॉडी के लिए जरूरी सभी विटामिन की पूर्ति खान-पान जैसे नेचुरल सोर्स से की जा सकती है. लेकिन कमी ज्यादा होने पर कई बार सप्लीमेंट्स की भी जरूरत पड़ जाती है. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट एक निश्चित समय तक विटामिन का डोज लेने की सलाह देते हैं. यदि इससे ज्यादा समय तक इसका सेवन किया जाए ओवरडोज के कारण गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है.
दैनिक भास्कर में छपे अपने कॉलम में MBBS डॉ. चन्द्रकान्त लहारिया ने बताया है कि हाइपरविटामिनोसिस या विटामिन का अत्यधिक उपयोग भारत में एक बड़ी चुनौती बन गया है. इसमें कोई दोराय नहीं कि विटामिन और माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं. यदि इनकी कमी हो तो इसका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है. जैसे विटामिन ए की कमी से दृष्टि कमजोर हो सकती है, विटामिन डी की कमी के कारण हड्डियां कमजोर होने लगती है. खानपान में सुधार से इन विटामिन की कमी को पूरा करना संभव है. लेकिन आज कई देशों में मल्टीविटामिन लेना एक परंपरा सा बन गया है.
हर किसी को मल्टीविटामिन की जरूरत नहीं
डॉ. बताते हैं कि हर किसी को मल्टीविटामिन की जरूरत नहीं होती और इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए. आमतौर पर स्वस्थ वयस्कों में विटामिन डी या किसी अन्य विटामिन की नियमित जांच की आवश्यकता नहीं होती है.
इन लोगों को पड़ती है विटामिन सप्लीमेंट की जरूरत
यदि किसी को मधुमेह जैसी बीमारी है, या लंबे समय तक किडनी की कोई अन्य बीमारी है, तो विटामिन का अवशोषण कम हो जाता है और ऐसे व्यक्ति को कम अवधि के लिए सप्लीमेंट्स की आवश्यकता हो सकती है. मल्टीविटामिन का एक अच्छा कोर्स 2 से 3 सप्ताह की छोटी अवधि के लिए ही किया जाता है. 
सबसे ज्यादा टॉक्सिटी वाले विटामिन
वसा में घुलनशील विटामिनों में विटामिन डी और ए सबसे अधिक टॉक्सिक होते हैं. यदि बॉडी में इसका ओवर डोज हो जाए तो इससे  मतली, उल्टी, जोड़ों में दर्द और भूख न लगना, दस्त के साथ बारी-बारी से कब्ज या मुंह में झुनझुनी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं.



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