Health

head and neck cancer increasing in youth these habits are taking them closer to death | हेड और नेक कैंसर का नया टारगेट युवा, ये आदतें ले जा रही मौत के करीब



पहले जिस बीमारी को उम्रदराज लोगों से जोड़ा जाता था, आज वह तेजी से युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है. हेड और नेक कैंसर के मामले अब 20-30 साल के लोगों में भी देखने को मिल रहे हैं.
इसलिए अप्रैल को हेड और नेक कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस गंभीर बीमारी के लक्षण, कारण और बचाव के बारे में जानकारी मिल सके. इसी विषय पर IANS ने सीके बिरला अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. मंदीप मल्होत्रा से खास बातचीत की. चलिए जानते हैं इस बीमारी से बचाव के लिए किन चीजों को दिमाग में रखना जरूरी है.
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तंबाकू और शराब बन रहे हैं बड़े कारण  
डॉ. मल्होत्रा के अनुसार, हेड और नेक कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे सबसे बड़ा कारण तंबाकू का सेवन है. बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, गुटखा, खैनी, सुपारी और जर्दा जैसी चीजें युवाओं को कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों की ओर ले जा रही हैं. इसके अलावा शराब, प्रदूषण, खाद्य पदार्थों में मिलावट, तनाव, नींद की कमी और अस्वास्थ्यकर खान-पान जैसी आधुनिक जीवनशैली की आदतें भी इस कैंसर का खतरा बढ़ा रही हैं.
हेड और नेक कैंसर क्या होता है?  यह कैंसर सिर और गर्दन के हिस्सों में होता है. इसमें मुंह, जीभ, गाल की त्वचा, गला, टॉन्सिल, आवाज की नली, खाने की नली का ऊपरी हिस्सा, नाक, साइनस और आंखों के पास की हड्डियां शामिल होती हैं. कुछ मामलों में थायराइड और पैरोटिड ग्रंथि का कैंसर भी इसी श्रेणी में आता है. यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन तंबाकू और शराब का सेवन करने वालों में इसका खतरा ज्यादा होता है.
पहचानें ये शुरुआती लक्षण  
– मुंह में छाला जो लंबे समय तक न ठीक हो  – जीभ या गाल में गांठ  – आवाज में बदलाव  – निगलने में तकलीफ  – गले में दर्द या खराश  – कान में दर्द  – गर्दन में गांठ या सूजन  – नाक से खून या काला म्यूकस निकलना  
कैसे होता है निदान?  
अगर किसी घाव या गांठ में सुधार नहीं हो रहा, तो बायोप्सी की जाती है, जिसमें ऊतक का सैंपल लेकर जांच की जाती है. इसके अलावा सीटी स्कैन, एमआरआई और पेट स्कैन से कैंसर की स्टेज और फैलाव का पता चलता है. नई तकनीक लिक्विड बायोप्सी से खून के नमूने से भी कैंसर का पता लगाया जा सकता है, जो उन मामलों में फायदेमंद है जहां पारंपरिक बायोप्सी कठिन हो.
इलाज के बाद भी सावधानी जरूरी 
डॉ. मल्होत्रा के अनुसार, यदि मरीज तंबाकू या शराब का सेवन बंद नहीं करता, तो इलाज के बाद भी कैंसर दोबारा लौट सकता है. एडवांस स्टेज के मामलों में इसका खतरा ज्यादा रहता है. मरीज की इम्यूनिटी यानी प्रतिरक्षा क्षमता भी इसमें बड़ी भूमिका निभाती है.
बचाव ही है सबसे बेहतर उपाय  डॉ. मल्होत्रा कहते हैं कि जागरूकता, समय पर जांच और स्वस्थ जीवनशैली ही इस बीमारी से बचने के सबसे असरदार उपाय हैं. युवाओं को तंबाकू और शराब जैसी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए और नियमित जांच करवानी चाहिए.
-एजेंसी-



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