लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (Lymphatic Filariasis)एक रेयर डिजीज है जिसे भारत में हाथीपांव ( elephantiasis) कहते हैं. एक नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज़ (NTD) है जो कि मच्छर काटने से फैलती है. यह बीमारी के लक्षण तुरंत नहीं दिखते हैं. मच्छर के लार्वा शरीर में चुपचाप शरीर के अंदर जाते हैं. जिसके बाद शरीर में यह लार्वा कीड़ों में बदल जाते हैं, कुछ मामलों में ये कीड़े शरीर में 6 से 8 साल तक शरीर में रह सकते हैं. शरीर में द्रव जमा होने पर सूजन की समस्या हो जाती है. इस वजह से पैरों, हाथों में सूजन देखने को मिलती है. सूजन की वजह इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है. आइए गेट्स डॉ. भूपेन्द्र त्रिपाठी, उप निदेशक – संक्रामक रोग और टीका वितरण, गेट्स फाउंडेशन से जानते हैं हाथीपांव की समस्या क्या है और इसके लक्षण.
हाथीपांव होने पर शरीर में दिखते हैं ये लक्षण हाथीपांव की बीमारी होने पर लिंफोडेमा और हाइड्रोसील (अंडकोष की सूजन) होना हाथीपांव का शुरुआती लक्षण होता है. यह लक्षण संक्रमण होने के कई साल बाद दिखाई देते हैं. लगभग मच्छर काटने के 7 से 10 साल बाद. लिंफोडेमा कंडीशन में किसी भी इंसान के पैर, हाथ, स्तन पर सूजन आने लगती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मच्छर के लार्वा की वजह से लसीका तंत्र में दिक्कत आ जाती है. जिस वजह से शरीर के अंगों में द्रव जमा होने लगते हैं. समय के साथ सूजन कठोर, दर्दनाक हो सकता है. इस कंडीशन में स्किन मोटी हो जाती है और स्किन फटने लगती है. कुछ केस में चलने-फिरने में दिक्कत आती है.
भारत में हाथीपांव के मामले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में हाथीपांव के 40 प्रतिशत मामले भारत में है. इंडिया की एक बड़ी आबादी इस बीमारी का शिकार है. भारत सरकार इस बीमारी को दूर करने के लिए ”मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन” (MDA) अभियान चलाती है. इस अभियान के दौरान हर साल हेल्थ वर्कर फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को दवा देते हैं. यह अभियान फाइलेरिया की दवा देकर संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किया जा रहा है. यह दवा ना केवल लक्षण दिखने वाले लोगों बल्कि हर किसी को यह दवा दी जाती है. क्योंकि यह बीमारी बचपन में शुरू होती है लेकिन इसके लक्षण कई सालों बाद नजर आते हैं. इस बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं.
क्या बच्चों को भी हो सकती है ये बीमारी फाइलेरिया की बीमारी लगभग बचपन में शुरू होती है. लेकिन इंसान को इसका एहसास तक नहीं होता है. बच्चे को संक्रमित मच्छर के काटने के कई साल बाद तक हाथीपांव के लक्षण नजर नहीं आते हैं. इस दौरान बच्चा नॉर्मल जीवन जीता है. जब शरीर में लार्वा बड़े कीड़े में विकसित हो जाते हैं वह शरीर के लसीका को अवरोद करते हैं जिसके बाद शरीर में गंभीर लक्षण नजर आते हैं. शरीर में सूजन देखने को मिलते हैं. जैसे अंगों में भारी सूजन (लिंफोडेमा) या पुरुषों में अंडकोष की सूजन (हाइड्रोसील).
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत या स्किन से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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