स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खानपान, कृषि उत्सर्जन से पर्यावरण को नुकसान तथा कुपोषण पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं. वे छिपी हुई लागत के रूप में स्वास्थ्य, पर्यावरण और समाज पर भारी भरकम राशि थोपते हैं. इससे खाद्य और कृषि उद्योग की वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान पहुंच रहा है. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की रिपोर्ट में यह आकलन किया गया है. विश्लेषण में दुनियाभर के 154 देशों को शामिल किया गया.
द स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (एसओएफए) रिपोर्ट के अनुसार 2020 में 70 फीसदी से अधिक लागत का संबंध हानिकारक खानपान से था. हानिकारक खानपान में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड तथा ऐसे खानपान शामिल हैं जिनमें फैट और चीनी की मात्रा अधिक होती है. इससे मोटापा और गैर-संचारी रोग हुए. बीमारियों की वजह से श्रम उत्पादकता में भी कमी आई. कुल लागत का पांचवां हिस्सा पर्यावरण से संबंधित है. इसमें ग्रीनहाउस गैस और नाइट्रोजन उत्सर्जन, भूमि उपयोग में बदलाव तथा पानी का उपयोग शामिल है.निम्न आय वाले देश सबसे अधिक प्रभावितनिम्न आय वाले देश छिपी हुई लागतों से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. यह लागत उनके जीडीपी का एक चौथाई से अधिक हो रहा है. मध्यम आय वाले देशों में 12% तथा उच्च आय वाले देशों में यह लागत 8 फीसदी है. कम आय वाले देशों में गरीबी व कुपोषण से जुड़ी छिपी हुई लागत सबसे अधिक है. कृषि खाद्य प्रणालियां पोषण प्रदान करती हैं और अर्थव्यवस्था को भी स्थिर बनाए रखती है लेकिन वे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भारी छिपी हुई लागत भी लगाती हैं.
क्या होती है छिपी हुई लागतआम लोगों या पूरे समाज के लिए ऐसी कोई भी लागत जो किसी उत्पाद या सेवा के बाजार मूल्य में शामिल नहीं है. यह बाहरी खर्चे होते हैं जैसे, संस्थागत या नीतिगत विफलताओं से होने वाले आर्थिक नुकसान.
Two women among five trampled to death by wild elephants in Jharkhand
RAMGARH/RANCHI: Five people, including two women, were trampled to death by wild elephants in separate incidents in Jharkhand…

